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चौंकाने वाला खुलासा : Online पढ़ाई के चक्कर में ‘गंदी बात’ सीख रहे बच्चे

नयी दिल्ली : कोरोना काल में बच्चों की आॅनलाइन पढ़ाई मजबूरी बनकर सामने आई। लेकिन इस चक्कर में बच्चे कच्ची उम्र में ही वह सब भी सीख गए जो उन्हें बालिग होने के बाद जानना चाहिए था। बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली सर्वोच्च संस्था राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि भारत में कोरोना काल के दौरान महज 10 फीसदी बच्चे ही स्मार्ट फोन का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करते हैं। जबकि 60 फीसदी बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल ‘इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स’ से चैटिंग, इंटरनेट पर एडल्ट मटेरियल देखने आदि के लिए करने लगे हैं। बाकी के 30 फीसदी बच्चे आज भी स्मार्ट फोन और आॅनलाइन क्लासेज से महरूम हैं।

NCPCR की स्टडी रिपोर्ट में हुआ खुलासा

एनसीपीसीआर ने पिछले दिनों इसे लेकर देशभर में एक उध्ययन—सर्वे कराया तथा उसके आधार पर यह खुलासा किया है। इस स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 59.9 फीसदी बच्चे अपने स्मार्ट फोन/इंटरनेट डिवाइसेज का इस्तेमाल चैटिंग (वॉट्सऐप/ फेसबुक/ इंस्टाग्राम/ स्पनैपचैट) के लिए करते हैं, जबकि केवल 10.1 फीसदी बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल पढ़ाई या कुछ सीखने के लिए करते हैं।

स्मार्टफोन से 60 % बच्चे कर रहे हैं चैटिंग

बच्चों की ओर से मोबाइल फोन और दूसरे इंटरनेट वाले उपकरणों के इस्तेमाल से बच्चों पर होने वाले असर को जानने के लिए की गई स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि 30.2 फीसदी बच्चों के पास अपना अलग स्मार्टफोन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नोट करना भी दिलचस्प है कि 8 से 18 साल की उम्र के 30.2 फीसदी बच्चों के पास अपना अलग स्मार्टफोन है और वे उसका इस्तेमाल सभी उद्देश्यों के लिए करते हैं।

हैरानी की बात यह है कि 10 साल की उम्र के 37.8 फीसदी बच्चों का अपना फेसबुक अकाउंट भी है। जबकि इसी उम्र के 24.3 फीसदी बच्चों का अपना अलग इंस्टाग्राम अकाउंट है। 13 साल से अधिक उम्र के बच्चों के पास अलग स्मार्टफोन के मामले कोरोना काल में भारत में तेजी से बढ़े हैं। हालांकि, लैपटॉप और टैबलेट इस्तेमाल करने वाले बच्चों की संख्या स्थिर है। स्टडी में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि अभिभावक बच्चों को लैपटॉप की जगह अलग स्मार्टफोन देना अधिक पसंद करते हैं।