चमकी पर क्या है एसकेएमसीएच में ‘दवा और दुआ’ का ट्रीटमेंट?
पटना/मुजफ्फरपुर : दिमागी बुखार या चमकी बुखार का कोई जवाब फिलहाल न डाक्टरों के पास है, न सरकार के पास। जिसे जो समझ आ रहा, वह अपने—अपने ढंग से इसके निदान के उपाय बता और कर रहा है। दिमागी बुखार से मौत का आंकड़ा 144 पहुंचने के साथ ही अब इसके प्रकोप से बचाव के लिए लोग हवन—यज्ञ में भी इसका इलाज ढूंढ़ने निकल पड़े हैं। बुधवार को ऐसा ही नजारा मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच परिसर स्थित मंदिर में देखने को मिला।
आज बुधवार को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में ‘दवा और दुआ’ दोनों तरह का ट्रीटमेंट देखने को मिला। जहां परिसर स्थित मंदिर में पीड़ित परिजन अपने बच्चों की सलामती के लिए हवन यज्ञ कर रहे थे, वहीं अंदर डाक्टर उनके बच्चों को बचाने के लिए लगातार दवा और इलाज करने में डटे थे। अस्पताल परिसर में दिमागी बुखार को शांत करने के लिए मंदिर के पुजारी के नेतृत्व में यह यज्ञ चल रहा है। लोगों का मानना है कि बच्चों को बीमारी से बचाने में डॉक्टर नाकाम हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को दवा के साथ साथ अब दुआ की भी जरुरत है। आयोजकों ने तर्क दिया कि जब बारिश के लिए भगवान से मिन्नत की जा सकती है तो दिमागी बुखार को शांत करने के लिए क्यों नहीं प्रार्थना की जा सकती। बहरहाल, दिमागी बुखार से बुरी तरह पीड़ित मुजफ्फरपुर में जहां 450 बच्चे इससे ग्रस्त हो चुके हैं, वहां यदि लोग पूजा—पाठ के सहारे अपने टूटते हौसले को मजबूत बना पा रहे हैं तो इसमें हर्ज क्या है।