बुद्ध पूर्णिमा क्यों है विशेष? बुद्ध के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन कैसे? जानिए
वैशाख शुक्ल पूर्णिमा का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भगवान बुद्ध का इस दिन से प्रत्यक्ष संबंध है। इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा की सबसे बड़ी विशेषता है कि इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था तथा महापरिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ। बोधीवृक्ष के नीचे उनको ज्ञान की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी। गौतम बुद्ध के जीवन के तीन महत्वपूर्ण पड़ाव यानी जन्म, ज्ञान प्राप्ति व मृत्यु एक ही दिन वैशाख शुक्लपक्ष पूर्णिमा हुआ था। यह अद्भुत संयोग है। इस दिन बोधगया में विश्व के कोने—कोने से श्रद्धालु आते हैं और भगवान बुद्ध का आशीर्वाद लेते हैं।
ढाई हजार पूर्व जन्में गौतम बुद्ध ने जीवन के मध्यम मार्ग को उचित बतलाया था। दया व करुणा को वे मानव जीवन का सबसे बड़ा गुण मानते थे। 83 वर्ष की उम्र में महापरिनिर्वाण को प्राप्त करने वाले बुद्ध के जीवन का संदेश है— अप्प दीपो भव:। अर्थात स्वयं से प्रकाशमान होना।
सम्राट आशोक के काल में बुद्ध के संदेशों का बहुत प्रसार हुआ। आशोक ने अपने पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा को बौद्धधम्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा था।
धीरे—धीरे बौद्ध धर्म का प्रसार दक्षिण—पूर्ण एशिया, चीन, कोरिया, जापान आदि देशों तक हो गया। आज दुनिया का हर दस में से एक व्यक्ति बौद्ध धर्म को मानता है। हालांकि भारत में बौद्ध को हिंदू संस्कृति का ही अंग माना जाता है। गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के 9वें अवतार के रूप में भी पूजा जाता है।