बोचहां में बेइज्जत हुई बीजेपी, राय के करीबी राय के कारण हुई हार!
बोचहां विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आ चुका है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के खाते में गई इस सीट पर उपचुनाव में राजद ने जबरदस्त जीत हासिल की है। जीत इतनी बड़ी हुई है कि इसकी अपेक्षा राजद के दिग्गज नेताओं ने भी नहीं की थी। बोचहां सीट से इस बार स्व मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान राजद के सिम्बल से चुनाव लड़े थे। राजद उम्मीदवार अमर पासवान को 82,562 वोट मिले, वहीं भाजपा उम्मीदवार बेबी कुमारी को 45,909 वोट मिले हैं। इसी सीट से 9 बार विधायक रह चुके रमई राम की पुत्री गीता कुमारी जो VIP की उम्मीदवार थीं, उन्हें 29,279 वोट मिले हैं। राजद उम्मीदवार अमर पासवान 36,653 मतों से जीत हासिल किये हैं।
जनविरोधी नीतियों की हुई हार
इस जीत के बाद उत्साहित राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि बोचहां विधानसभा उपचुनाव में बेरोजगारी, महंगाई एवं बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि व विधि व्यवस्था से त्रस्त जनता ने डबल इंजन सरकार तथा अवसरवादी NDA ठगबंधन में शामिल 4 दलों की जनविरोधी नीतियों व अहंकार को अकेले परास्त करने का न्यायप्रिय कार्य किया है। वहीं, राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस जीत के बाद कहा कि बोचहां की जीत तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर विश्वास और सरकार के खिलाफ जन विद्रोह का प्रतीक है। बोचहां की जनता ने पहले ही फैसला सुना दिया था कि उन्हें राष्ट्रीय जनता दल तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व पर विश्वास है। क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल समाजवादी आन्दोलन से निकली हुई पार्टी है जो सबों का प्रतिनिधित्व करती है।
दावे में दम नहीं
बोचहां में भाजपा की हार के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू है। मुकेश सहनी का दावा है कि भाजपा बोचहां में हमारे कारण हारी है। लेकिन, सहनी के इस दावे में बिल्कुल दम नहीं है। क्योंकि, VIP और भाजपा को मिलाकर जितने मत मिले हैं, उससे ज्यादा मत राजद के अमर पासवान को मिले हैं। इसके अलावा सहनी की पार्टी VIP को मिले मत को लेकर कहा जा रहा है कि यह मत रमई राम के कारण मिली है, क्योंकि इस सीट से रमई राम 9 बार विधायक रह चुके हैं।
राय के करीबी राय के कारण बोचहां में हारी BJP
वहीं, बोचहां में भाजपा की हार को लेकर यह कहा जा रहा है कि भूमिहार बाहुल्य सीट पर भाजपा के कुछ नेता लगातार भूमिहारों को गाली दे रहे थे। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के करीबी बिहार सरकार में मंत्री रामसूरत राय को जब भी मौक़ा मिलता था तब-तब वे भूमिहारों और भूमिहार नेताओं के बारे में अपशब्द कहने से नहीं चूकते थे। इस वजह से स्थानीय भूमिहार मतदातों में रामसूरत रे को लेकर जमकर नाराजगी थी।
भूमिहारों की नाराजगी पड़ी भारी
इसके अलावा इस क्षेत्र से भूमिहारों के सर्वमान्य लोकप्रिय नेता सुरेश शर्मा हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार हो गई थी, इसके बाद पार्टी ने उन्हें बिल्कुल दरकिनार कर दिया था। साथ ही उनके द्वारा किये गए कार्य को भी पार्टी द्वारा नकारा जाना लगा, उनकी हर बात की अनदेखी होने लगी थी, नतीजतन अपने नेता को बेबस होता देख मुज़फ़्फ़रपुर के भूमिहार मतदाता मौक़ा मिलते ही भाजपा को सबक सिखाने की तैयारी में थे। फिर क्या उपचुनाव में मौक़ा मिलते ही राजद से कोसों दूर भागने वाली भूमिहार जाति गोलबंद होकर राजद के पक्ष में मतदान कर दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि स्व मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान बड़े अंतर से यह सीट अपने नाम कर ली।
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