बोचहां की जीत तेजस्वी के नेतृत्व पर विश्वास और सरकार के खिलाफ जन विद्रोह : जगदानंद सिंह

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पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह बोचहां परिणाम के बाद संवादाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बोचहां की जीत तेजस्वी जी के नेतृत्व पर विश्वास और सरकार के खिलाफ जन विद्रोह का प्रतीक है। बोचहां की जनता ने पहले ही फैसला सुना दिया था कि उन्हें राष्ट्रीय जनता दल तेजस्वी प्रसाद यादव जी के नेतृत्व पर विश्वास है। क्योंकि, राष्ट्रीय जनता दल समाजवादी आन्दोलन से निकली हुई पार्टी है, जो सबों का प्रतिनिधित्व करती है।

सिंह ने आगे कहा कि नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों का जो गुस्सा है वह स्पष्ट रूप से सामने चुनाव परिणाम में दिखा। साथ ही बिहार तथा देश को बोचहां की जनता ने एक संदेश दिया है कि प्रगतिशील सोच ओर मजबूत नेतृत्व के साथ ही बिहार आगे बढ़ेगा। इस जीत के संदेश को समझने की आवश्यकता है। जहां लोगों ने महंगाई, भ्रष्टाचार, बिहार में बढ़ते अपराध, नफरत और रोजगार के सवाल पर एक साथ खड़े होकर यह बताने का काम किया कि राजद के लिए हर वर्ग और तबका मजबूती के साथ खड़ा है।

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चाहे मजदूर हो, किसान हो, पिछड़े अतिपिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के साथ-साथ ए-टू जेड ने इस चुनाव में समर्थन देकर यह स्पष्ट कर दिया कि जाति और धर्म के आधार पर कोई बांट नहीं सकता। हिन्दू और मुसलमान को लड़ाने वाले को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र की धरती बिहार ने बताया है कि समाज का बंटवारा करके और जनहित के मुद्दों से अलग जाकर कोई भी समाज को ठग नहीं सकता है। नफरत सेे ज्यादा आवश्यक बिहार और देश के लोगों के लिए रोटी है और शोषणचक्र चलाकर कोई भी सरकार जनता के अधिकार को नहीं छिन सकती है। आज का चुनाव परिणाम यह स्पष्ट करता है कि जितना दोनों दलों ने वोट नहीं लाया उससे अधिक वोट राजद के पक्ष में पड़ा। यह भविष्य की राजनीति का स्पष्ट संदेश है।

इन्होंने आगे कहा कि जनता दल यू कोई पार्टी नहीं है, ये दूसरे दलों के नेताओं को पकड़-पकड़ कर अपनी पार्टी बना रहे हैं लेकिन इनके नेतृत्व पर बिहार की जनता ने पहले हीं अविश्वास प्रकट कर दिया है और स्पष्ट किया है कि बिहार में सत्ता के लिए जो खेल खेला जा रहा है उसे बिहार की जनता पसंद नहीं करती है। भाजपा की इस हार से यह स्पष्ट हो गया कि जनता बनाम सरकार के चुनाव में जनता जीती और सरकार की हार हुई।

सरकार को बिहार विधान परिषद के चुनाव में भी हार हुई थी लेकिन इस जनादेश को नीतीश कुमार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। हां वो भाजपा की इस हार पर भीतर से खुश जरूर हो रहे होंगे। जबकि जनादेश और बोचहां की जनता ने स्पष्ट कर दिया है कि डबल इंजन सरकार के नेतृत्वकर्ता नीतीश कुमार जनादेश को स्वीकार कर कुर्सी छोड़ें, क्योंकि भविष्य की राजनीति के लिए स्पष्ट संदेश आया है।

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