BJP के पूर्व राष्ट्रीय सचिव ने केंद्रीय नेतृत्व को दी JDU से गठबंधन तोड़ने की सलाह, कहा- अब प्रासंगिक नहीं रहा…
पटना : स्थानीय प्राधिकार कोटे से बिहार विधान परिषद के नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण हो चुका है। प्रमुख दलों के जो प्रमुख नेता चुनाव हारे हैं, उनका कहना है कि पार्टी के अंदर विश्वासघात हुआ, सहयोगी दल ने धोखा दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि हमलोग चुनाव हार गए। इस तरह की बातें भाजपा और राजद नेता खुलकर बोल रहे हैं। इसमें भाजपा के रजनीश कुमार ने अपने सहयोगी दल जदयू पर गंभीर आरोप लगते हुए केंद्रीय नेतृत्व से अलग होने की मांग की है।
रजनीश सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातों को रखते हुए कहा कि गठबंधन की राजनीति बिहार में अब प्रासंगिक नहीं रहा। कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत पर नीतीश कुमार ज़िन्दाबाद के नारे लगे! क्या यही एनडीए का गठबंधन है? बिहार भाजपा को उत्तर प्रदेश की तरह स्वयं पर विश्वास करके आगे बढ़ना होगा। बिहार की राजनीति में अब यह समय आ गया है।
गठबंधन की राजनीति बिहार में अब प्रासंगिक नहीं रहा।कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत पर नीतीश कुमार ज़िन्दाबाद के नारे लगे! क्या यही एनडीए का गठबंधन है ? @BJP4Bihar को उत्तर प्रदेश की तरह स्वयं पर विश्वास करके आगे बढ़ना होगा।बिहार की राजनीति में अब यह समय आ गया है । pic.twitter.com/18TeD8kG4s
— Rajnish Kumar (@mlcrajnishkumar) April 12, 2022
बता दें कि चुनाव परिणाम को लेकर सुर्खियों में बेगूसराय सीट भी है। बेगूसराय से रजनीश कुमार विधान परिषद का सदस्य रह चुके हैं। इस बार उनको टिकट मिला था और जीत तय मानी जा रही थी। चर्चाओं की मानें तो गुटबाजी की शुरुआत करने वाले रजनीश कुमार पर इस बार गुटबाजी भारी पड़ गया। क्षेत्र में चर्चाओं के अनुसार गिरिराज सिंह के बेगूसराय आने के बाद से रजनीश कुमार गुटबाजी शुरू कर दिए थे। नतीजतन गिरिराज गुट इस फिराक में था कि कब मौका मिले कि रजनीश को सबक सिखाया जाय। लम्बे इन्तजार के बाद गिरिराज और कुंदन गुट को मौक़ा मिला और चुनाव को रजनीश के भरोसे छोड़ दिया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां से राजीव कुमार चुनाव जीत गए।
इसके अलावा क्षेत्र में एक और चर्चा है कि बेगूसराय को लेकर जदयू विधायक संजीव कुमार भाजपा प्रत्याशी का मदद नहीं कर रहे थे। वे अपने भाई राजीव सिंह को कांग्रेस से टिकट दिलवाया और जमकर उनके पक्ष में प्रचार किया। इसी का नतीजा है कि भाजपा के रजनीश कुमार की हार हुई और अब रजनीश का राजनीतिक भविष्य दांव पर है।