पटना : चमकी बुखार को लेकर राज्य सरकार और खासकर सीएम नीतीश कुमार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही। विपक्ष तो विपक्ष, अब सत्ता पक्ष की ओर से भी उनपर अंगुली उठाई जाने लगी है। बच्चों की मौत पर राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिये हलफनामे के बाद सहयोगी दलों ने भी राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने नीतीश सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि मौजूदा दौर लालू के ‘जंगल राज’ से भी बुरा है। उन्होंने कहा कि हलफनामा दाखिल करने से कुछ हल नहीं होता, यह बिहार सरकार की कमजोरी है।
स्वास्थ्य सेवा की फिक्र नहीं, बस कुर्सी की चिंता
गोपाल बाबू ने कहा कि बिहार का दुर्भाग्य है कि 30 सालों में सरकार को कभी मेडिकल सेवाओं को लेकर कोई चिंता नहीं रही। जो गति लालू राज में थी, वही हाल नीतीश राज में भी है। सरकार में बैठे लोगों को केवल कुर्सी पर बैठकर सत्ता का आनन्द भोगने की ही चिंता रही, जनता की दिक्कतों पर किसी का ध्यान नहीं है। मुजफ्फरपुर मामले में उन्होंने नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि जब घटना घट जाती है तो इसके बाद सभी चिंता करते हैं, वरना सब शांत रहते हैं।
अकेले चले भाजपा, सिद्धांतों से न हो समझौता
गोपाल नारायण सिंह ने जदयू—भाजपा गठबंधन को निशाने पर लेते हुए कह दिया कि बीजेपी को बिहार में अपने बल पर चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी के पक्ष में हवा होती है तो सहयोगी उसका लाभ लेने के लिए आ जाते हैं। यह समझौता कुर्सी पर बने रहने के लिए होता है न कि नीति और सिद्धांतों के लिए। अभी तीन तलाक़ और 370 पर जेडीयू हमारे साथ नहीं है। वो वोट बैंक की राजनीति के साथ चलना चाहते हैं। अगर कोई आदमी हमारे सिद्धांतों से नहीं चलेगा तो हम उसकी निंदा करेंगे।
विदित हो कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखास को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए बताया है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत 12,206 पदों के लिए सिर्फ 5,205 डॉक्टर ही तैनात हैं। वहीं, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत क्षमता 19,155 के मुकाबले मात्र 5,634 नर्सें ही तैनात हैं।