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भाजपा की नजरें अब इन विधानसभा चुनावों पर, शाह ही करेंगे बेड़ा पार

लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद एक तरफ जहां तमाम विपक्षी पार्टियां अभी तक हार के सदमे से उबर नहीं पायी है, तो वहीं भाजपा इसी साल देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गयी है, आने वाले समय मे जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है वो महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखण्ड, दिल्ली और जम्मू कश्मीर है। फिलहाल इन 5 में से 3 (महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखण्ड) राज्यों में भाजपा की सरकार है। पूर्व में जम्मू व कश्मीर में भाजपा और पीडीपी दोनो मिलकर गठबंधन की सरकार चला रही थी गठबंधन टूटने के बाद से जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा हुआ है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी यानी कि केजरीवाल सत्ता की कुर्सी पर विराजमान है। बात अगर इन 5 राज्यों की कुल लोकसभा सीटों की करें, तो 85 में से 73 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने कब्जा किया बाकी के 12 सीटों में से 10 सीटों पर सप्रंग ने तो वहीं 2 सीटें अन्य के खाते में गयी।

खास बात है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखण्ड के चुनाव भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसका मतलब हुआ कि दिसंबर तक भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर अमित शाह ही रहेंगे।

राजनीतिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र जहां इस बात की चर्चा थी कि प्रदेश की सरकार से नाराज किसानों, मराठों और दलितों की नाराजगी तथा बड़े-बड़े आंदोलन जिसके कारण यहां यूपीए को बहुत उम्मीदें थी लेकिन यहां हुआ ठीक उल्टा। यहां लोकसभा की 48 में से 41 सीटों पर भाजपा और शिवसेना गठबंधन ने जीत दर्ज की जिसमे भाजपा को 23 और शिवसेना को 18 सीटें मिली, वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 27.59 प्रतिशत ,शिवसेना को 23.29 प्रतिशत मत कांग्रेस को 16.27प्रतिशत मत टी एनसीपी को 15.52 प्रतिशत मत मिले, यूं कहें तो भाजपा और शिवसेना के वोटों को मिला दिया जाए तो आंकड़ा 50 फीसदी से ऊपर तथा राज्य के कम से कम 20 सीटें ऐसी है जहां पर एनडीए के उम्मीदवारों को मिले वोटों और सभी विपक्षी उम्मीदवारों के मिले वोटों को भी मिला दिया जाय तो भी उस जगह तक नहीं पहुँच पाते हैं।

बात अगर हरियाणा की करें तो लोकसभा के चुनाव में भाजपा को प्रदेश की 10 में से सभी 10 सीटों पर भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की यहाँ भी तमाम विपक्षी पार्टियों को खट्टर सरकार में हुए जाट आरक्षण आंदोलन ,किसानों का विरोध प्रदर्शन तथा कई और ऐसे मुद्दें जिसको लेकर प्रदेश में आंदोलन और हंगामे हुए जिसको लेकर सभी पार्टियों को बहुत अपेक्षायें थी ,लेकिन यहां भी परिणाम ठीक उलट आया तथा प्रदेश की सभी 10 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया ,बात अगर वोट प्रतिशत की करें तो यहां पड़े वोटों में से भाजपा को 58 .02 प्रतिशत ,कांग्रेस को 28.42 प्रतिशत इनेलो को 1.89 प्रतिशत तथा अन्य को 11.67 प्रतिशत वोट मिले यानी कि राज्य की सभी विपक्षी पार्टियां एक हो जाती तो भी वो भाजपा से मुकाबला नहीं कर पाती ,हरियाणा में मुख्य रूप से वोटों की राजनीति जाट और गैर जाटों में बंटी हुई है तथा सारी पार्टियां इसी रणनीति पर काम करती है परंतु इस बार हरियाणा की जनता ने इन सभी चीजों से उठकर नरेंद्र मोदी के नाम पर जबरदस्त वोट किया तथा सभी जातीय और स्थानीय मुद्दे गौण रहे ।।

बात झारखण्ड की करें तो 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर एनडीए ने जीत दर्ज की .महागठबंधन मात्र 2 सीटों पर सिमटकर रह गया , वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 50.96प्रतिशत ,कांग्रेस को 12.63 प्रतिशत ,झामुमो को 11.51 प्रतिशत और अन्य को 21.85 प्रतिशत वोट मिले यानि कि सारी पार्टियां मिलकर भी यहां भाजपा से मुकाबला नहीं कर सकती थी,  झारखण्ड में मिली प्रचंड जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास के मैनेजमेंट को शीर्ष भाजपा आलाकमान के तरफ से प्रशंसा मिल रही है रघुवर दास में लोकसभा चुनाव की तैयारी विधानसभावार की थी जिसके कारण प्रदेश की 81 विधानसभा में से 63 सीटों पर बढ़त बनायी जिसके कारण भाजपा झारखण्ड में काफी जोश बढ़ गया है तथा यही परिणाम आने वाले विधानसभा चुनाव में दोहराने के प्रयास में लग गयी है।

देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो एकमात्र ऐसा प्रदेश जहां लोकसभा की सारी सीटें भाजपा के पास है लेकिन विधानसभा में विपक्ष में बैठने के लिए जितने विधायक की ज़रूरत है उतने विधायक नहीं है लेकिन इस बार के लोकसभा परिणाम के बाद भाजपा को उम्मीदें बढ़ी है क्योंकि यहां पड़े सारे वोटें में से 56.60 प्रतिशत वोट सिर्फ भाजपा को मील हैं ,कांग्रेस को 22.50 प्रतिशत ,आप को 18.10 प्रतिशत व अन्य को 2.8 प्रतिशत सभी मिल भी जाते तो भी भाजपा से मुकाबला नहीं कर पाते,आने वाले चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली विधानसभा चुनाव में ही मिलने वाली है।

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव में आंशिक सफलता मिली 6 सीटों वाली यह प्रदेश में भाजपा को 3 तो नेशनल कांफ्रेंस को भी 3 सीटें मिली ,पूर्व में यहां पीडीपी और भाजपा की गठबंधन की सरकार थी लेकिन गठबंधन टूटने के बाद यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ है तथा जम्मू व कश्मीर में अगर किसी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो है पीडीपी जिसका इस लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया । वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 46.39 प्रतिशत ,कांग्रेस को 28.05 प्रतिशत ,नेशनल कांफ्रेंस को 7.9 प्रतिशत ,पीडीपी को 2.3 प्रतिशत और अन्य को 14.91 प्रतिशत मत मिले है।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल मे तमाम विपक्षी दल सत्तापक्ष पर यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र में राजग की सरकार बनने के बाद से देश के किसानों ,दलितों ,महादलितों ,अल्पसंख्यको व पिछड़ों का यह सरकार में शोषण हुआ है,इन सभी मुद्दों के बावजूद जिस तरह से मोदी सरकार ने मुस्लिम बहुल प्रदेश ,आदिवासी बहुल प्रदेश ,किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन जिस प्रदेश में हुआ वहां भी भाजपा ने राष्ट्रवाद,गरीबी,जातिवाद एवं परिवारवाद को मुद्दा बनाकर अप्रत्याशित सफलता हासिल की ठीक इसी तरह आने वाले समय मे विधानसभा चुनाव में काफी सारे मुद्दे काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि 2014 के आम चुनाव के बाद जिस तरह से दिल्ली और बिहार में विधानसभा में भाजपा एवं उसके सहयोगियों को मुंह की खानी पड़ी थी या फिर 2019 के आम चुनाव जैसी अप्रत्याशित सफलता मिलती है।
(राहुल कुमार)