वंदे मातरम् पर ओवैसी के विधायकों को भाजपा ने कहा, ‘तालिबानी’
पटना : हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलसि ए इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायकों ने बिहार विधानसभा की शीतकालीन सत्र के समापन पर राष्ट्रगीत गाने से इंकार कर दिया। इसको लेकर उनका कहना था कि विधानसभा के स्पीकर जबरन ऐसी परंपरा थोप रहे हैं। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं, अब इस घटना को लेकर बिहार में सियासत शुरू हो गई है।
भारत में रहकर राष्ट्रगीत नहीं गा सकते तो दूसरे देश चले जाएं
विस में शीतकालीन सत्र के समापन पर राष्ट्रगीत गाने से इंकार करने को लेकर भाजपा के एक नेता ने कहा कि जो कोई भारत में रहकर राष्ट्रगीत नहीं गा सकते तो वह दूसरे देश चले जाएं। वहीं अब इसको लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने भी निशाना साधते हुए कहा कि उस पार्टी के की अध्यक्ष ऐसे हैं तो उनके विधायक से क्या उम्मीद की जा सकती है। गिरिराज सिंह ने ओवैसी पर तंज कसते हुए कहा कि वे तो जिन्ना के सपनों को लेकर भारत में भ्रम और विभेद फैला रहे हैं। लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि 1947 भारत में दोबारा नहीं आनेवाला है।
विधायक को विधानसभा में रुकने नहीं देंगे
वहीं, विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा है कि एमएलए की हरकत देशद्रोह की श्रेणी में आती है। विधानसभा अध्यक्ष को एआइएमआइएम विधायक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। बचौल ने कहा कि जब भी सत्र चलेगा विधायक को विधानसभा में रुकने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि ये लोग खाते यहीं का हैं पर गीत नहीं गाएंगे। भारत के अन्य से पलने वाले, यहीं की नदियों से पानी पीने वाले ऐसे लोग जिहादी मानसिकता के हैं। ये लोग तालिबानी सोच के लोग हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने तो यह भी कहा था कि राम मंदिर नहीं बनेगा। लेकिन वह बना। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत हमारी आत्मा में बसा है।
सत्र का शुभारंभ राष्ट्रगान से और समापन राष्ट्रगीत से
बता दें कि, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इस बार एक नई शुरुआत की। उन्होंने इस बार सत्र का शुभारंभ राष्ट्रगान जन गण मन… से किया और समापन राष्ट्रगीत वंदे मातरम से। लेकिन, इस दौरान एआइएमआइएम के पांचों विधायकों ने राष्ट्रगीत गाने से इंकार कर दिया।
इसको लेकर पार्टी विधायक अख्तरुल इमान का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष एक नयी परंपरा थाेपने की कोशिश कर रहे हैं। हम संविधान के अनुसार चलेंगे। विधायक ने कहा कि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि राष्ट्रगीत गाना जरूरी है। देश के सभी वर्गों को एक नजर से देखना ठीक नहीं है। अख्तरुल ने कहा कि मैं वंदे मातरम न गाता हूं और न ही गाऊंगा।