एक बच्चे की मृत्यु कई पीढ़ियों की समाप्ति के बराबर : डॉ.  बीरबल झा

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Birbal Jha

जाने माने लेखक और मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बच्चों की मृत्यु पर गहरी दुख और चिंता व्यक्त की है। उन्होंने राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी बच्चों की जान बचाने के लिए विशेष अनुरोध करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य की गुणवत्ता बनाए रखना राज्य का मामला है और साथ ही सरकार की जिम्मेदारी भी है।

जी! ये मामला है मुजफ्फरपुर का जहाँ सुनाई दे रहा है कि लीची खाने से सैकड़ों बच्चे अस्पतालों में दम तोड़ चुके हैं और कई बच्चे वहां अभी जिन्दगी अौर मौत के बीच झूल रहे हैं। मिथिला के ‘यंगेस्ट लिविंग लीजेंड’ रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखनेवाले डॉ॰ बीरबल झा विषय की गंभीरता को देखते हुए कहते हैं कि हालाँकि यह मामला गंभीर है मगर इसके लिए लीची को दोष देना कहीं से भी तर्क संगत नहीं है। हमारे पास एेसा कोई प्रमाण या रीसर्च नहीं है जिससे की यह बात पुष्ट हो सके। तब खामखां लीची को दोष नहीं देना चाहिए।

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इससे सबसे अधिक नुकसान किसानों को हुआ है किसान जो कुछ दिन पहले तक लीची को अच्छे-ख़ासे दामों पर बिक्री कर रहे थे। अब इस घटना के कारण लीचीयों के दाम बहुत घट गये है और किसान इन्हें सस्ते दामों में बेचने पर मजबूर है। डॉ॰ झा आगे कहते हैं कि “एक बच्चे की मृत्यु कई पीढ़ियों की समाप्ति के बराबर है। इस तथ्य से कौन इनकार करेगा कि राष्ट्र का भविष्य बच्चों की सुरक्षा और स्वस्थ विकास पर टिका है। बदहाल ज़िन्दगी गुज़ारने वाले इन बच्चों को उचित मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पाती अौर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था का वैसा प्रबंध नहीं है कि वह सैकड़ों की संख्या में बच्चों को उचित मेडिकल की सुविधा प्रदान कर सके। अतः खराब स्वास्थ्य प्रबंधन की कमी के कारण इन मासूम बच्चों को भगवान की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता है।”

2017 में  हरियाणा के गुरुग्राम में 7 साल के बच्चे  की गला रेत कर हत्या करने के बाद लिखी गई किताब ‘चाइल्ड सेफ्टी’ के लेखक डॉ॰ बीरबल ने आगे कहा कि यह हृदयविदारक घटना है  कि अब तक राज्य में विभिन्न अस्पतालों में इंसेफेलाइटिस और हाइपोग्लाइसीमिया से सौ से डेढ़ सौ बच्चों की मौत हो चुकी है और लगभग सौ के करीब बच्चे अपनी जिंदगी से जूझ रहे हैं। एक बच्चे की मौत की बराबरी सिर्फ 4 लाख रुपये का मुआवजा देकर नहीं की जा सकती है। जैसा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपयों का मुआवज़ा देने की घोषणा की है।

इस बीच डॉ॰ बीरबल के गीत ‘बच्चा-बच्चा है भारत की तक़दीर’ की याद दिलाता है। यह गीत संदेश देता है कि समाज और परिवार को बच्चों के प्रति और गम्भीर होना चाहिये। उनकी सुरक्षा के प्रति हमें जागरूक होना चाहिए, ताकि हम अपने भविष्य को यूँ अस्पतालों में दम तोड़ने से बचा सकें। ‘बच्चा-बच्चा है भारत की तक़दीर’ गाने का लिंक नीचे दिया गया है।

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