बिना स्कूल के कैसे इस महादलित बस्ती के बच्चों का बनेगा भविष्य

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नवादा :  एक तरफ राज्य सरकार बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने की बात कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ कई ऐसे गांव हैं, जहां आज भी विद्यालय नहीं है।

जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड का एकचटवा गांव भी इनमें से एक है। यह गांव महादलित लोगों की बस्ती है, जहां दुर्भाग्यवश बच्चों के लिए एक भी स्कूल नहीं है। जिस कारण यहां के बच्चे शिक्षा से कोसों दूर हैं।

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400 की आबादी, लेकिन एक भी स्कूल नहीं :

दरअसल एकचटवा महादलित की बस्ती है। जहां के लोग जंगल के लकड़ी पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब थोड़ी बहुत खेतीबाड़ी करने लगे हैं। उन्हें अब अपने बच्चे की भविष्य की चिंता है।  इस गांव में अभी तक एक भी प्राथमिक स्कूल नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल नहीं होने से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि यहां स्कूल की स्थापना हो जाए।

हो रहा बच्चों का भविष्य बर्बाद :

ग्रामीण कहते हैं कि स्कूल नहीं होने के कारण बच्चे का भविष्य बर्बाद हो रहा है। यहां से 3 किलोमीटर दूर स्कूल है, वहां कोई बच्चा जा नहीं सकता है। जिसकी वजह से हमारा बाल बच्चा नहीं पढ़ पा रहा है। महादलित बस्ती के लोगों की मांग है कि उनके गांव में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय खुल जाए ताकि अपने बच्चों को सही से पढ़ा सकें।

जांच कर भेजा जाएगा प्रस्ताव :

इस संबंध में डीपीओ समग्र शिक्षा के पास इसकी जानकारी नहीं है। जैसे ही इसकी लिखित सूचना मिलती है तो उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर मानदंडों के अनुसार वहां विद्यालय निर्माण किया जा सकता है और ग्राम पंचायत जमीन उपलब्ध कराती है तो उसका प्रस्ताव बनाकर राज्य को भेजा जाएगा।

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