मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा, 2015 के दौरान नरेन्द्र मोदी के सवा लाख करोड़ के पैकेज के सामने दो लाख करोड़ से अधिक का पैकेज सामने रखा था। बिहार का चुनाव का मुद्दा सवा लाख करोड़ बनाम दो लाख करोड़ का हो गया था। जिसमें मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना थी। जिसमें बिहार को विकसित बनाने का लक्ष्य था। बिहार इन सात योजनाओं से विकसित हुआ या नहीं, इसका आकलन स्वयं कर सकते हैं।
इसी सात योजनाओं में से एक योजना का नाम था – हर घर नल का जल। जिसके तहत बिहार के हर गांव-कस्बों में नल का जल मुहैया करवाना था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निरीक्षण इस योजना का क्रियान्वयन किया गया। इसे युद्धस्तर पर लागू किया गया। बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 से पूर्व हर घर नल का जल पहुंचाना था। सरकारी तंत्र ने अपना काम बखूबी निभाया।
बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 तक जारी आंकड़ो के अनुसार 1,14,691 वार्डों में से 1,01,171 वार्डों में नल का जल पहुंचाया गया। जिसके लिए दो विभाग को काम सौपा गया था, पंचायती राज विभाग, बिहार और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार। इस आंकड़े को देखे तो करीब 90 फीसदी वार्डों में काम पूरा कर लिया गया है। अभी तक सभी वार्डों में नल का जल पहुंचा दिया गया होगा।
हालांकि, सच्चाई यह है कि चुनाव ख़त्म होने के साथ ही नल का जल ख़त्म हो गया। अनेक गांवों में नल का जल नहीं आता है। धरकंधा कला के निवासी बताते हैं कि जब हमारे यहां नल लगा था तो प्रतिदिन सुबह-शाम पानी आता था। लेकिन, अब तो पानी का कही नामो-निशान नहीं है। पाइप अनेकों जगह टूट गया है। रिपेयरिंग तो कभी हुआ ही नहीं। कमोबेश हर पंचायत में यही हाल देखने को मिलेगा।
योजना लागू होने के बाद की स्थिति
राज्य सरकार ने इस योजना को लेकर बखूबी अपने खजाने से जनता की एक बड़ी रकम खर्च की है। इससे कई गांवों को लाभ भी हुआ है। जिन गांवों में सूखे के दौरान पीने के पानी का कोई उपाय न था, वहाँ इस योजना से काफ़ी हद तक फायदा हुआ है। कई गांवों के ऐसे लोग हैं, जो चाह कर भी 200 फीट जमीन में चापाकल नहीं बैठा सकते हैं, उनलोगों को इस योजना से प्रत्यक्ष लाभ हुआ है। बाकियों को भी थोड़ा अप्रत्यक्ष लाभ तो हुआ ही है।
लेकिन, योजना लागू होने के बाद गांवो के उस सड़क की हालत बदतर हो गयी है, जो पहले से या तो अच्छी थी या बुरी थी। सड़कों को बीच से खोदकर उसे दुर्घटना का एक द्वार खोल दिया गया है। बरसातों में यह गली की सड़क अपना रूप बदलकर एक नाली के दोनों तरफ पगडंडी लगने लगी है। योजना के लागू होने के पश्चात न तो इसपर किसी की फीडबैक ली गयी और न ही इससे होनेवाले क्षति को परिपूर्ण किया गया। ये अलग बात है कि पंचायत चुनाव के जल्द ही आगमन से थोड़े जगहों पर इसे अब भरा भी जाने लगा है।