क्राइम कंट्रोल नहीं, 10 लाख-20 लाख नौकरियों का टार्गेट पूरा कराने में जुटी बिहार पुलिस
पटना : बिहार पुलिस का मुख्य एजेंडा अब क्राइम कंट्रोल नहीं रह गया है। दारूबंदी के चक्कर में पहले से अपराध की बाढ़ में घिरे इस राज्य की पुलिस अब अपने सियासी आकाओं का चेहरा चमकाने में मुस्तैद हो गई है। इसी कड़ी में बिहार की पुलिस ने अपने उन युवा ट्रेनी पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के हाथों नियुक्ति पत्र दिलवा दिया जो पहले ही नियुक्ति पत्र पा चुके हैं और बजाप्ता ट्रेनिंग ले रहे हैं।
आज 16 नवंबर को मुख्यमंत्री ने 10 हजार 449 पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपा। इन पुलिसकर्मियों में 8346 सिपाही और 2213 दारोगा पद पर हाल में नियुक्त हुए हैं। सभी दारोगा को करीब एक माह पूर्व ही रीजनल डीआईजी और आईजी ने नियुक्ति पत्र सौंपे थे। जबकि सिपाही पद पर चयनित को अलग—अलग जिलों के एसपी ने नियुक्ति पत्र सौंपा था। सभी दारोगा और नवनियुक्त सिपाही बजाप्ता ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। लेकिन अब आज इन सभी नवनियुक्त और प्रशिक्षण ले रहे जवानों को फिर से नियुक्ति पत्र देने का मतलब केवल इतना है कि सरकार में शामिल नेता अपनी रोजगार देने की घोषणा का आंकड़ा बढ़ा सकें। यह काफी हास्यास्पद है।
लेकिन इस सबके बीच पुलिस के होने का असल मकसद यानी क्राइम कंट्रोल काफी पीछे रह गया है। वह भी तब जब बिहार में अपराध की बाढ़ आई हुई है। वर्तमान सरकार के नुमाइंदों का चेहरा चमकाने में लगा पुलिस महाकमा के अफसर जो दम आज गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र देने वाले कार्यक्रम में लगा रहे, अगर वही दम वे अपने असली काम क्राइम कंट्रोल पर लगा दें तो आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। मामले को लेकर बिहार की सियासत में पूरी तरह गरमा गई है। भाजपा ने पूरे मामले में नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार जनता के पैसे खर्च कर केवल चेहरा चमकाने में लगी है।