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बिहार में टकराया पॉलिटिकल ईगो, घर में ढेर हुए कई शेर, जानिए किसने किसकी पीठ में उतारा खंजर

पटना : स्थानीय प्राधिकार कोटे से बिहार विधान परिषद का चुनाव परिणाम आ चुका है। परिणाम आने के साथ ही यह चर्चा होने लगी कि बागियों ने राजद और भाजपा का खेल बिगाड़ा है। वहीं, इन दलों के जो प्रमुख नेता चुनाव हारे हैं, उनका कहना है कि पार्टी के अंदर विश्वासघात हुआ, जिसका नतीजा यह हुआ कि हमलोग चुनाव हार गए। इस तरह की बातें भाजपा और राजद नेता खुलकर बोल रहे हैं। इसमें भाजपा के रजनीश कुमार, मोतिहारी से भाजपा के बबलू गुप्ता, मुंगेर से जदयू के संजय प्रसाद, वैशाली से राजद के सुबोध राय प्रमुख नाम हैं, जो अपने सहयोगी दल और अपने दल के नेताओं के ऊपर चुनाव हराने का आरोप लगा रहे हैं। इसके अलावा सूबे के तमाम बड़े नेताओं को अपने क्षेत्र में अपने घर में हार का सामना करना पड़ा।

मुंगेर : ललन सिंह VS विजय कुमार सिन्हा 

मुंगेर सीट की बात करें तो यहां से ललन सिंह के खास संजय प्रसाद एनडीए के उम्मीदवार थे। वहीं, राजद की तरफ से अजय सिंह उम्मीदवार थे। इस सीट से NDA प्रत्याशी के तौर पर चुनाव हारने वाले संजय प्रसाद तथा उनके समर्थकों का मानना है कि भाजपा ने यहां सहयोग नहीं किया। क्षेत्र में यह चर्चा है कि ललन सिंह इस सीट को अपना गढ़ मानते हैं, लेकिन जदयू से ज्यादा इस क्षेत्र में भाजपा के कैडर हैं। इसके साथ ही ललन सिंह पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रशासनिक दबंगई का भी आरोप लगाया जाता रहा है। इसके आलावा मुंगेर से ही बीजेपी के एक और नेता का कद दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। इन्होनें भी राजद उम्मीदवार को हलके में लिया।

लखीसराय भूमिहार का गढ़ होने के कारण ललन सिंह वर्चस्व बनाना चाहते हैं, लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विजय कुमार सिन्हा करते हैं। विस अध्यक्ष बनने के बाद दिन-प्रतिदिन विजय सिन्हा का कद बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा इनको लेकर यह चर्चा होने लगी है कि ये लोकसभा लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस वजह से भाजपा समर्थक ललन सिंह को कैडर के अनुसार राजनीतिक हैसियत दिखाने में लगे हुए हैं। इसी वजह से जदयू उम्मीदवार संजय प्रसाद को मुंगेर और लखीसराय से संभावित समर्थन नहीं मिला। तमाम राजनीतिक प्रकरण के बाद क्षेत्र में विजय सिन्हा ललन सिंह पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

चर्चाओं की मानें तो संजय प्रसाद को हराने में सुमित सिंह का भी नाम लिया जा रहा है। सुमित सिंह संजय प्रसाद को किसी सदन में देखना नहीं चाहते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि ललन सिंह 2020 के विधानसभा चुनाव में संजय प्रसाद को टिकट दिलाने के लिए सुमित सिंह का पत्ता साफ कर दिया था। बावजूद इसके सुमित सिंह अपने क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीते और अभी नीतीश कैबिनेट में शामिल हैं। ललन सिंह और संजय प्रसाद से खाड़ खाये सुमित सुमित सिंह एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाते दिखे।

मोतिहारी : राधामोहन सिंह VS डॉ संजय जायसवाल

इसके अलावा मोतिहारी से चुनाव हारने के बाद भाजपा के प्रत्याशी बबलू गुप्ता ने साफ तौर पर मोतिहारी सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता राधामोहन सिंह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमें हराने में राधा मोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई है। वजह यह है कि राधा मोहन सिंह नहीं चाहते थे कि बबलू गुप्ता को मोतिहारी से उम्मीदवार बनाया जाए। बबलू गुप्ता जायसवाल के करीबी होने के कारण उम्मीदवार तो बन गए। लेकिन, क्षेत्र में राधा मोहन सिंह के समर्थकों द्वारा उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया। साथ ही राधा मोहन सिंह यह नहीं चाहते हैं कि जयसवाल एक तरफा निर्णय लें, नतीजतन इस क्षेत्र में भाजपा दो गुट में बंट गई, जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां से निर्दलीय महेश्वर सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे।

बेगुसराय : गुटबाजी के शिकार रजनीश

मोतिहारी के बाद सबसे ज्यादा चर्चा बेगूसराय सीट को लेकर है। बेगूसराय से रजनीश कुमार विधान परिषद का सदस्य रह चुके हैं। इस बार उनको टिकट मिला था और जीत तय मानी जा रही थी। लेकिन, चर्चाओं की मानें तो गुटबाजी की शुरुआत करने वाले रजनीश कुमार पर इस बार गुटबाजी भारी पड़ गया। क्षेत्र में चर्चाओं के अनुसार गिरिराज सिंह के बेगूसराय आने के बाद से रजनीश कुमार गुटबाजी शुरू कर दिए थे। नतीजतन गिरिराज गुट इस फिराक में था कि कब मौका मिले कि रजनीश को सबक सिखाया जाय। लम्बे इन्तजार के बाद गिरिराज और कुंदन गुट को मौक़ा मिला और चुनाव को रजनीश के भरोसे छोड़ दिया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां से राजीव कुमार चुनाव जीत गए। इसके अलावा क्षेत्र में एक और चर्चा है कि बेगूसराय को लेकर जदयू विधायक संजीव कुमार भाजपा प्रत्याशी का मदद नहीं कर रहे थे। वे अपने भाई राजीव सिंह को कांग्रेस से टिकट दिलवाया और जमकर उनके पक्ष में प्रचार किया। इसी का नतीजा है कि भाजपा के रजनीश कुमार की हार हुई और अब उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर है।

सिवान और सारण : सिग्रीवाल और मंगल पांडेय के चाल से अमंगल परिणाम

इसके अलावा सिवान और सारण सीट को लेकर यह चर्चा आम है कि यहां भी बिहार कैबिनेट में भाजपा कोटे से शामिल एक मंत्री और इस क्षेत्र के एक सांसद अपना राजनीतिक वर्चस्व दिखाने के लिए सारण और सिवान सीट पर खेल किये। सच्चिदानंद राय का टिकट कटवाने और सिवान से मनोज सिंह को टिकट दिलाने के बाद स्थानीय भाजपा के एक सांसद और बिहार कैबिनेट में शामिल मंत्री क्षेत्र में यह चर्चा करते नहीं थक रहे थे कि हम लोग एमएलसी बनाते हैं। पार्टी ने जिसे टिकट दे दिया वही जीत जाएगा। नतीजा यह हुआ कि सिवान में भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे और सारण में भी भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पररहे। हालांकि, सारण में भाजपा प्रत्याशी 300 वोट भी प्राप्त नहीं कर सके। यहाँ कुल मिलाकर लगभग 5400 से अधिक वोट हैं।

मधुबनी : सीट बंटवारे में गलती

इसके अलावा एक और सीट की चर्चा है, वह है मधुबनी। मधुबनी सीट को लेकर शुरू से ही यह चर्चा हो रही थी कि भाजपा ने जिस समझौते से यह सीट जदयू को दे दिया है इससे नुकसान एनडीए को होना तय है। क्योंकि, यहां से भाजपा के सुमन महासेठ चुनाव की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, समझौते के आधार पर रह सीट जदयू को चली गई। इससे भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता खुश नहीं थे। नतीजतन, भाजपा का एक बड़ा तबका सुमन महासेठ के पक्ष में चला गया और यहां से तमाम प्रयास के बावजूद जदयू चौथे नंबर पर रही। यहां से एनडीए का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। जबकि यह जदयू के कद्दावर मंत्री संजय झा का क्षेत्र है। बावजूद इसके यहां इज्जत मिट्टी में मिल गई।

वैशाली : महुआ विधायक पर निशाना

वैशाली सीट को लेकर बात करें तो यहां से राजद के प्रत्याशी सुबोध राय ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें पार्टी के नेताओं ने हराया है। सुबोध राय ने हारने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें महुआ विधायक मुकेश रौशन ने हराया है। उसने पार्टी के साथ धोखा किया है, भीतरघात करके हराया है पार्टी में रहते हुए उसने भूषण राय को मदद किया।

नवादा : यादव हुए गोलबंद

नवादा सीट की बात करें तो यहां से राजबल्लभ यादव का परिवार टिकट चाह रहा था। लेकिन, तेजस्वी ने राजबल्लभ यादव के परिवार को टिकट ना देकर श्रवणको टिकट दिया था। नतीजा यह हुआ कि निर्दलीय ताल ठोकने वाले अशोक यादव के समर्थन में राजद के कई यादव नेता खुलकर बैटिंग करने लगे और यहां से अशोक यादव की जीत हुई।

दरभंगा : भाजपा प्रत्याशी को थी हराने की तैयारी 

दरभंगा सीट को लेकर यह चर्चा है कि यहां भी एनडीए के कुछ नेताओं ने भाजपा उम्मीदवार सुनील चौधरी को हराने के लिए जी जान लगा दिया था। लेकिन, स्थानीय भाजपा नेता मजबूती से सुनील चौधरी के पक्ष में खड़े रहे और सुनील चौधरी काफी कम अंतर से यह चुनाव जीतने में सफल रहे।

कई दिग्गज हुए धाराशायी

बहरहाल, कुल मिलाकर इस चुनाव में दलों की जितनी सक्रियता थी, जितनी सक्रियता नेताओं की थी। उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल, डिप्टी सीएम रेणु देवी, राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, जदयू के दिग्गज नेता विजेंद्र यादव और मंत्री संजय झा अपने क्षेत्र में अपना वर्चस्व नहीं दिखा पाए। सभी बड़े नेताओं को अपने क्षेत्र में अपने घर में हार का सामना करना पड़ा।