पटना : राजनीति का खेल ही ऐसा है कि अच्छे-अच्छों की तबियत बिगड़ जाती है। 2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम लालू परिवार के लिए सदमे वाला रहा, जब राजद का एक भी प्रत्याशी लोकसभा नहीं पहुंच सका। इस झटके से रांची रिम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव इतने आहत हुए कि न सो पा रहे हैं और न दोपहर का खाना ही खा रहे हैं। 23 मई को चुनावी परिणाम आने के बाद से लालू को राजद के राजनीतिक भविष्य की चिंता सताए जा रही है।
दरअसल, इस चुनाव परिणाम में राजद का न सिर्फ सूपडा साफ़ हुआ, बल्कि उसके पारंपरिक वोट बैंक भी हवा हो गए। यह बात सर्वविदित है कि लालू यादव की जमीनी नेता की छवि की वजह से यादव और मुस्लिम वोटरों पर उनकी पकड़ मजबूत रही है। इस चुनाव में भाजपा-जदयू की जोड़ी ने महागठबंधन के सभी घटक दलों के सारे समीकरण ख़राब कर दिए। रालोसपा का कुशवाहा कार्ड, हम का मांझी कार्ड और वीआइपी का मल्लाह कार्ड भी महागठबंधन के काम नहीं आया। पर सबसे अधिक चिंता लालू यादव को इस बात की है कि सीमांचल क्षेत्र में बसे मुस्लिम वोटरों पर जो अधिकार राजद का था, वो भी इस चुनाव में एनडीए के पाले में चला गया। कटिहार, अररिया, बांका, भागलपुर, पूर्णिया में तो एनडीए ने पारंपरिक सीटों पर भी सेंध मार ली जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक रही है। वहीँ किशनगंज में जदयू प्रत्याशी का कांग्रेस प्रत्याशी से मुकाबला बहुत नजदीकी रहा।
राजद के लिए यह घोर चिंता का विषय है कि पिछले लोकसभा चुनाव के बनिस्पत उसके वोट प्रतिशत में 5 फ़ीसदी का डिमोशन हो गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद को 20 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि इस चुनाव में वोट प्रतिशत घटकर 15 प्रतिशत पर आ गया है। 2020 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में राजद सुप्रीमो लालू यादव यह भांप गये हैं कि इस चुनाव का प्रतिकूल प्रभाव ही राजद पर पड़ेगा। राजद के वर्तमान सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव राजद की ओर से मुख्य चेहरे हैं। हालांकि इस चुनाव में तेजस्वी अपनी सभाओं में जुटी भीड़ को वोट में तब्दील नहीं कर पाए।
फ़िलहाल, लालू यादव रिम्स में भर्ती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी दिनचर्या बिगड़ गई है। वो न दोपहर का खाना खा रहे हैं, और न सो पा रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें इन्सुलिन देने में भी परेशानी हो रही है। इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
सत्यम दुबे