पटना : मानसून की लेटलतीफी से बिहार भयंकर सूखे की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि ईद के दिन भी मुख्यमंत्री ने अपने बधाई संबोधन के दौरान लोगों से इसका जिक्र करते हुए अच्छी बारिश के लिए दुआ मांगी। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि जहां बिहार में मई तक सामान्य तौर पर 51.0 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, वहां इस वर्ष अब तक मात्र 32.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। ऐसे में राज्य में सूखे की आशंका को लेकर उससे निपटने के लिए सरकार ने कमर कसनी शुरू कर दी है। सरकार ने जलस्रोतों के जीर्णोद्धार के साथ ही चापाकलों की मरम्मत के भी कार्य प्रारंभ कर दिए हैं।
चिंतित राज्य सरकार ने उठाए ये कदम
आपदा प्रबंधन विभाग ने राज्य में खराब पड़े 30 से 35 हजार चापाकलों की मरम्मत कर इन्हें चालू करने तथा सभी जलाशयों के उचित प्रबंधन का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है। सूखे से निबटने के लिए राज्य के तालाबों और अन्य जलस्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। सरकार ने मनरेगा योजना से राज्य के सभी पंचायतों में सार्वजनिक भूमि पर स्थित तालाब, आहर, पइन और चेक डैम का जीर्णोद्धार कराने का निर्णय लिया है। जल संरक्षण के लिए ग्रामीण सड़कों के किनारे वृक्षारोपण और उनके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई है। ग्रामीण कार्य विभाग को कुल 1943 ग्रामीण सड़कों पर 5,754 किलोमीटर लंबाई में पौधारोपण करना है। इस योजना को 15 अगस्त तक पूरा करने का आदेश दिया गया है।
534 में से 280 प्रखंड पहले से सूखाग्रस्त
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार राज्य के 25 जिलों के 280 प्रखंड पहले से ही सूखाग्रस्त हैं। इन सभी प्रखंडों में पानी का उचित प्रबंधन करने और इसकी कमी दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करने का निर्देश सभी अधिकारियों को दिया गया है। कई जिलों में टैंकरों से भी पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।
पिछले वर्ष कम तो इस वर्ष बारिश में देरी से सिरदर्द
राज्य सरकार ने यह माना है कि पिछले साल कम बारिश से कई जिलों के सूखाग्रस्त होने और इस वर्ष अब तक बारिश नहीं होने से राज्य में पेयजल की समस्या विकराल हो गई है। हालांकि अपनी नल-जल योजना की सफलता के कारण सरकार को विश्वास है कि घरों तक पेयजल पहुंचाने में दिक्कत नहीं होगी। साथ ही पेयजल समस्या से प्रभावित इलाकों में टैंकरों से भी पानी पहुंचाया जा रहा है।