‘बिहार में ई बा’— काम नहीं आया डैमेज कंट्रोल, उल्टे हो गई किरकिरी
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। खासकर भारत जैसे संसदीय लोकतंत्र में। राजनीतिक दल न केवल सत्ता का संचालन करते हैं, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से समाज को दिशा भी देते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 में तकनीक की सहायता राजनीतिक दल चुनावी बाजी मारना चाह रहे हैं। इसके लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं। फिलहाल इसमें भाजपा द्वारा रैप सांग की नकल करने के कारण उसकी किरकिरी हो रही है। इसको शुरू से समझिए।
दिनों पूर्व अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘बंबई में का बा’ नाम से भोजपुरी रैप लाया। बाद में बिहार की एक उदयीमान गायिका ने उस गाने के पैरोडी के रूप में ‘बिहार में का बा’ नाम गाना गा दी। ‘बिहार में का बा’ गाने में बिहार की बदहाली को उद्घाटित कर परोसा गया। यह गाना भाजपा विरोधियों के लिए कैटलिस्ट का काम किया, लिहाजा महागठबंधन के लोगों ने इसको प्रचारित करना शुरू किया।
‘बिहार में का बा’ को जवाब देने का दबाव भाजपा पर आ गया। भाजपा के आईटी सेल के लोगों ने ‘बिहार में का बा’ के जवाब में ‘बिहार में ई बा’ शीर्षक से रैप बनवाया। इंटरनेट पर आने के साथ ही ‘बिहार में ई बा’ हिट हो गया। लेकिन, वो कहते हैं न कि नकल के लिए भी अक्ल चाहिए। ‘बिहार में ई बा’ गाने में मैनिफैक्चरिंग डिफेक्ट है। आलोचकों ने इस गाने को फ्रेम दर फ्रेम देखने के बाद पाया कि बिहार की खूबियों का बखान करने वाले इस वीडियो में बिहार के बाहर के कुछ स्थलों के व्यूजुअल्स उपयोग किए गए हैं। जानकारों का मानना है कि इस गाने में मध्यप्रदेश व हरियाणा के दृश्यों को समाहित किया गया है।
बहरहाल, जब ‘बिहार में ई बा’ का पोल खुल गया, तो भाजपाईयों को नई तरकीब सूझी। डैमेज कंट्रोल का जिम्मा खुद बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने संभाला। यादव आजकल ‘चुनाव डायरी’ शृंखला लिख रहे हैं। इसी मंच पर उन्होंने ‘बिहार में ई बा’ पर लंबा सा आलेख लिख दिया। इस आलेख में उन्होंने बिहार के गौरवशाली इतिहस का जिक्र करते हुए बताया है कि बिहार में ये सारे गौरव के चिह्न मौजूद हैं। यानी— ‘बिहार में ई बा’।
सोशल मीडिया पर अलग ही प्रतिक्रिया इसको लेकर दिख रहा है। चुनावी डायरी के पटल पर लिखे भूपेंद्र यादव के आलेख का बहुत असर नहीं होने वाला। यूजर्स लिख रहे हैं कि ‘बिहार में ई बा’ गाने में फर्जी वीडियो डालकर भाजपा पहले ही फजीहत करा चुकी है। अब चाहे जितने भी लेख लिखें जाएं, अब क्या होत.. जब चिड़िया चुग गई खेत!