Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured अररिया बिहार अपडेट

बिहार के इस रेलखंड पर 11 वर्षों से क्यों नहीं चली कोई ट्रेन?

अररिया : फारबिसगंज—सहरसा रेलखंड पर विगत 11 वर्षों से रेलों का परिचालन बंद है। 2008 के कुशहा त्रासदी के बाद इस रेलखंड पर अमान पिवर्तन की योजना घोषित हुई जिसके तहत इसे नए तरीके से शुरू करने की पहल हुई। लेकिन लेटलतीफी से चल रहे आमान परिवर्तन के कार्य ने सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के धैर्य को तहस—नहस कर दिया है। उन्हें आने—जाने में खासी परेशानियों का सामना जो करना पड़ रहा है। आमान परिवर्तन कार्य में हो रही लेटलतीफी के कारण क्षेत्र के लोगों में आक्रोश पनपने लगा है।

2008 कुशहा त्रासदी के बाद से बंद है रेलखंड

फारबिसगंज-सहरसा बड़ी रेल लाइन परियोजना कार्य में शिथिलता बरते जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष शाहजहां शाद ने कहा कि अब नीतिगत तरीके से सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ने के लिए नागरिक संघर्ष समिति तैयार है। कोसी सीमांचल की लाइफ लाइन माने जाने वाले इस रेलखंड के बंद होने से क्षेत्रवासियों पर इसका व्यापक असर पड़ा है।

रेलवे के अगल-बगल के छोटे—छोटे व्यापारी समेत बड़े दुकानदार भी लगभग पलायन कर चुके हैं। इस रेलखंड के बंद होने से सबसे व्यापक असर नरपतगंज क्षेत्र के लोगों पर पड़ा है। पिछले 11 वर्षोंं से ललित ग्राम से लेकर फारबिसगंज तक रेल परिचालन पूरी तरह बंद है। इस रेलखंड पर जिस धीमी गति से वर्तमान में काम हो रहा है, उससे यह प्रतीत हो रहा है कि अभी भी काम पूरा होने में कई वर्ष लगेंगे। इस रेलखंड पर मुख्य रेलवे स्टेशनों को छोड़कर सभी छोटे स्टेशन चकरदाहा, छातापुर हाल्ट, देवीगंज समेत अन्य छोटे हाल्ट की स्थिति जस की तस बनी हुई है। सबसे अधिक असर व्यवसाय और रोजगार पर पड़ा है।

संजीव कुमार झा