बिहार : राष्ट्रपति शासन की मांग, बहुत जल्द साथ होंगे एक और चाचा-भतीजा!
बिहार में सत्ता का स्वरूप बदल चुका है। अभी तक सरकार में सबसे बड़ी सहयोगी के रूप में काम कर रही भारतीय जनता पार्टी अब विपक्ष में बैठने जा रही है। वहीं, सबसे बड़ा दल होने के नाते अभी तक विपक्ष में बैठने वाला राजद अब सत्ता का हिस्सेदार होने जा रहा है। इसी के साथ लगभग 7 साल तक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल- खेलकर एक बार फिर सारे गिले-शिकवे भूलकर चाचा-भतीजा एक होने जा रहे हैं।
एक चाचा-भतीजा के साथ आने पर दूसरे चाचा-भतीजा के एक होने की चर्चा शुरू हो गई है। क्योंकि, लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों के पास एक भी विधायक नहीं है। ऐसे में दोनों दल के पास सिर्फ सांसद होने के कारण उनके पास एनडीए में बने रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिस तरह से नीतीश कुमार पर हमला बोला है, उससे यह साफ है कि आने वाले निकट भविष्य में चिराग पासवान अपनी पार्टी को मजबूत करते रहेंगे और सही समय आने पर भाजपा के साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
बिहार में लागू हो राष्ट्रपति शासन
चिराग ने कहा कि आज के बाद मुख्यमंत्री जी की विश्वसनीयता शून्य है। जिस जंगल राज का विकल्प बनकर आए थे उसी के साथ सरकार बना ली। लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर शपथ लिया कि मिट्टी में मिल जाऊंगा पर भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा उसी भाजपा के साथ 2017 में ये चले गए। कैसे कोई ऐसे मुख्यमंत्री पर विश्वास रखेगा जो खुद अपने शब्दों पर नहीं टिकते। इसलिए मैं चाहता हूं कि बिहार को चुनाव में जाना चाहिए। बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए। ये जोड़ तोड़ की सरकार बनाना सही नहीं है, आपकी कोई नीति, विचारधारा, सिद्धांत है कि नहीं?
राजद- जदयू सरकार बिहार के विकास के लिए शुभ नहीं
वहीं, मंगलवार यानी 9 अगस्त को बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन टूटने के बाद मोदी कैबिनेट में शामिल चिराग पासवान के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर स्पष्टता जाहिर करते हुए कहा कि जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ। पहले भी ऐसा हो चुका है। RJD और JDU की सरकार पहले भी बनी थी, लेकिन चल नहीं पाई। फिर ये लोग मिलकर सरकार बना रहे हैं। ये बिहार के विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारी पार्टी(LJP) NDA के साथ थी, है और आगे भी रहेगी।
वहीं, अब नीतीश के अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर 2014 के फार्मूले पर काम करना शुरू करेगी। 2014 के आम चुनाव में राजद-कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ी थी। वहीं, जदयू अलग होकर चुनाव लड़ी थी। जबकि भारतीय जनता पार्टी, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एक होकर चुनाव लड़े थे और एनडीए को बिहार में जबरदस्त सफलता मिली थी। इसलिए भाजपा, जदयू के जाने के बाद एक बार फिर 2024 चुनाव को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पासवान को एक कर 2014 की तरफ सफलता प्राप्त करने के प्रयास में जुट जाएगी।