पटना : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल की गिरफ्तारी फिलहाल टल गई है। पूर्वी चंपारण के एसपी ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। एसपी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ एएसपी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर रोक लगाते हुए मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया है। पूरा मामला लोकसभा चुनाव के दिन हुई मारपीट से जुड़ा है। इसे लेकर घोड़ासाहन थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें डॉ संजय जायसवाल समेत कुल नौ आरोपी बनाए गए थे।
सुपरविजन के 13 बिंदुओं पर फिर से जांच
इस मामले में एएसपी शैशव यादव ने अपनी पर्यवेक्षण रिपोर्ट में डा. संजय जायसवाल के खिलाफ आरोप को सही बताते हुए सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था। मोतीहारी एसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने डॉ.संजय जायसवाल की गिरफ्तारी आदेश पर रोक लगाते हुए एएसपी मंतव्यों के आधार पर फिर से जांच के आदेश दिए हैं।
मोतिहारी एसपी उपेंद्र कुमार ने एएसपी शैशव यादव की पर्यवेक्षण रिपोर्ट के 13 बिंदुओं पर फिर से जांच की आवश्यकता जताई है। विदित हो कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान नरकटिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सेखौना गांव के एक बूथ पर डा.जायसवाल को स्थानीय लोगों ने घेर लिया गया था। इस संबंध में सांसद और दूसरे पक्ष के लोगों ने एक-दूसरे पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
सांसद ने डीजीपी को लिखा पत्र
बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने 23 अगस्त 2019 को बिहार के डीजीपी को पत्र लिखकर इस कांड में न्याय देने की बात कही थी। इसमें सांसद संजय जायसवाल ने खुद को पीड़ित बताया और कहा है कि घटना को अंजाम देने वालों ने खुद को बचाने के लिए उनपर झूठा केस दर्ज करवाय दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने साफ किया था कि लोकसभा चुनाव 2019 में मैं भाजपा का प्रत्याशी था। 12 मई को वोटिंग के दिन शेखौना के लोगों ने फोन कर मुझे बताया कि बूथ संख्या 162 और 163 पर एक समुदाय विशेष के लोग वोटिंग से रोक रहे हैं और मारपीट कर रहे हैं। इसकी सूचना हमने तत्काल अधियाकरियों और रिटर्निंग ऑफिसर को दी। फिर मैं उस बूथ पर पहुंचा तो देखा कि कई मतदाता घायल हैं। श्रभ् जायसवाल ने पत्र में लिखा कि जब वो गांव में पहुंचे तो उग्र भीड़ ने उन्हें घेर लिया। पत्थरबाजी के बाद भीड़ मुझ पर लाठी से वार करने लगी। अगर बॉडीगार्ड फायरिंग नहीं करते तो मेरी हत्या कर दी जाती। यह सबकुछ घोड़ासहन थानेदार और पीठासीन पदाधिकारी के सामने हुआ।