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लॉकडाउन : बिहार भाग जाओ नहीं तो भूखे मर जाओगे

पटना/कटिहार : पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का रूप ले चुका है। भारत में अब तक 8356 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जिसमें से 273 लोगों की मौत हो चुकी है। इस संकट से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा देशभर में 14 अप्रैल तक 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है। 14 अप्रैल के बाद देशभर में 2 हफ्ते के लिए लॉक डाउन का बढ़ना तय है। बहुत सी राज्य सरकारें लॉक डाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा भी दिया है।

इस लॉक डाउन में हम और आप कोरोना वायरस के डर से घरों में कैद हैं, मगर मजदूर अपने घर लौटने के लिए परेशान हैं। साधन नहीं है तो ये लोग पैदल ही सैकड़ों, हजारों किमी की यात्रा पर निकल पड़े हैं। इस लॉक डाउन में सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। अगर बात बिहार की करें तो अभी भी बहुत सारे बिहारी मजदूर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में बड़ी मुसीबत में फंसे हुए हैं। इन मजदूरों के पास अपने घर जाने के लिए कोई साधन नहीं है, रोते हुए भूखे पेट ये लोग अपने-अपने घरों के लिए निकल रहे हैं।

ताजा मामला है कटिहार का जहां 14 मजदूर घर पहुँचने के लिए दिल्ली से पैदल चलकर 12 दिनों में कटिहार पहुंचे। लेकिन, मौत से जूझकर 12 सौ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद इनलोगों को प्रशासन ने कटिहार सीमा पर रोककर मेडिकल टीम के सहयोग से मजदूरों को पहुंचाया प्रवासी हेल्थ सेंटर पहुंचा दिया गया।

लॉक डाउन के कारण संकट में फंसे मजदूर बातचीत के दौरान कहते हैं कि हमारी तो बस यही गलती है कि हमलोग भुखमरी से बचने और सरकार पर बोझ नहीं बने इसके लिए मजदूरी करने बाहर चले जाते हैं। लेकिन, संकट के इस समय में सरकार को मजदूरों के बारे में सोचना चाहिए था, हमलोगों को बस या ट्रेन से अपने घर पहुंचवा देती।

कई दिनों से सफर करने के बाद जब ये लोग यूपी बॉर्डर के पास पहुंचे तो पुलिस ने कहा कि बिहार भाग जाओ नहीं तो भूखे मर जाओगे। दिल्ली में बिहारियों को मिलने वाली सुविधा पर सवाल उठाते हुए इन मजदूरों ने कहा कि केजरीवाल सरकार की राहत बिहारियों तक नहीं पहुंचते थे। इसी कारणवश हमलोगों के पास भुखमरी से बचने के लिए घर पहुँचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।