सारण : तीसरे राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन शहर के सेंट्रल पब्लिक स्कूल छपरा में आयोजित किया गया। आयोजन समिति के अथक प्रयास से राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव में देश के विभिन्न क्षेत्रों से भोजपुरी भाषी साहित्यकार, गीतकार, कवि ,संगीतकार और अन्य लोग इसमें हिस्सा लिया। राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव में प्रथम दिन उद्घाटन करते हुए महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि भोजपुरी की लड़ाई सड़क से संसद तक लडूंगा, जब तक कि इसे आठवीं अनुसूची में जगह नहीं मिल जाती। इसके लिए हमें संगठित होकर प्रयास करना होगा। बिहार के मंत्री रामसेवक सिंह ने भोजपुरी को राजकीय भाषा बनाने की संकल्प की बात कही।
जंतर-मंतर पर लाठी के साथ होगा प्रदर्शन
इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र यादव एमएलसी ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने में कोई दिक्कत ही नहीं है। केवल इसे कानूनी दांवपेच में फंसाया गया है, इसका साहित्य बहुत ही समृद्ध है। महोत्सव के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ हरेन्द्र सिंह ने महोत्सव के उद्देश्यों को सामने रखा और उन्होंने कहा कि अब यह आयोजन ग्रामीण इलाके में होगा। टाटानगर से आए प्रदीप भोजपुरीया नेम भोजपुरी आंदोलन में राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव की सहभागिता एवं उसकी प्रयासों की सराहना की। प्रयाग से आये अजित सिंह ने भोजपुरी महोत्सव के इस आयोजन को देश के अनेक भोजपुरी महोत्सव से शानदार बताया। उन्होंने कहा जहां भाषा साहित्य और संस्कार की बात हो वहां निश्चित तौर पर लड़ाई आसान हो जाती है। उन्होंने अंतिम लड़ाई के तौर पर भोजपुरिया अंदाज में देश की राजधानी जंतर-मंतर के पास लाठी के साथ प्रदर्शन की बात कही।
परिचर्चा का आयोजन
राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव के द्वितीय सत्र में भोजपुरी को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए परिचर्चा आयोजित किया गया। जिसमें देश से आए विभिन्न क्षेत्रों के भोजपुरी विद्वान ने हिस्सा लिया। संध्या सत्र में डॉ उमाशंकर साहू के निर्देशन में कालजयी रचना विदेशिया का 41वीं प्रस्तुति की गई, जिसमें दर्शकों ने एक सुंदर और स्वस्थ संस्कृति को विदेशिया के कलाकारों द्वारा उस समय की स्थिति को समझने का प्रयास किया गया। महोत्सव का समापन करते हुए महोत्सव के अध्यक्ष डॉक्टर हरेन्द्र सिंह ने सब का आभार व्यक्त किया। अगले वर्ष इसे सारण की बनियापुर क्षेत्र में आयोजित करने की बात कही।