भारत साधु समाज का तीन दिवसीय प्रदेश अधिवेशन शुरू, स्वामी केशवानंद ने कहा— यह नया सूर्योदय

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वैशाली, पातेपुर : पूर्वाह्न के करीब 11 बजे। शुभ मुहूर्त में मंदिर में दर्शन के बाद छात्राओं ने संतों की आराधना में गीत गाए। स्वागतम्-स्वागतम्… पातेपुर में आपका स्वागत… और हनुमान चालीसे के दोहे “पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।। इसके बाद शुरू हुआ कार्यक्रम। काली-दुर्गे, राधे-श्याम, योगी शंकर, सीताराम… की धुन पर थिरकती साधुओं की दर्शनीय शोभायात्रा स्थानीय राम-जानकी मंदिर से मुख्य कार्यक्रम स्थल (प्रधान मठ) की ओर धैर्य और शौर्य से बढ़ती रही। छात्र-छात्राओं द्वारा फूलों की पंखुड़ियां बरसायी जाती रहीं। दर्जनों गाड़ी-घोड़े, झंडों-पताकों के सान्निध्य में बढ़ते रहे। संत-महंत और गृहस्थ इठलाते- नितराते रहे। वजह थी, वर्षों बाद भारत साधु समाज के प्रदेश अधिवेशन के बहाने सुअवसर मिला था। रथ पर सवार साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष (कार्यकारी) श्री मुक्तानंद जी और राष्ट्रीय महामंत्री (कार्यकारी) स्वामी केशवानंद जी आगे-आगे चल रहे थे। मानो साधु-संतों की बारात पीछे-पीछे। 31 डिग्री में भी कोई डिगने को तैयार नहीं। रास्ते में शरबत भी परोसी जा रही थी। थाने से आगे स्कूली छात्र दूर-दूर से पधारे संतों के दर्शन और स्वागत में खड़े थे। करीब एक किलोमीटर की यात्रा में घंटे भर से अधिक लगे। प्रधान मठ में भी पुष्प वर्षा हो रही थी और तो और ड्रोन कैमरे से चलंत दृश्य संजोये जा रहे थे। प्रधान मठ में कायक्रम का उद्घाटन श्रीमुक्तानंद जी, स्वामी केशवानंद जी, श्रीकांत शरण दास जी, श्री कमलनारायण दास जी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

इस मौके पर मठ-मंदिरों और साधु-संतों की सुरक्षा के आलोक में चर्चाएं हुईं। गो संवर्धन और गंगा की निर्मलता पर विशेष जोर दिया गया। प्रदेश में करीब 35 सौ रजिस्टर्ड मठों के श्री महंतों में से ही धार्मिक न्यास पार्षद के अध्यक्ष बनाए जाएं। साथ ही मठों को बीडीओ, सीओ को न सौंपा जाए। पूर्व में हमारे आशीर्वाद से सरकार बनती थी। लेकिन, अब उनकी कृपा से अपना अस्तित्व बचाना पड़ रहा है। अगला 2020 का प्रदेश अधिवेशन बेगूसराय के फतेहा मठ में होगा। संगठन को मजबूत करने पर बल दिया गया। श्रीमुक्तानंद जी ने कहा कि सभी संप्रदायों का गठबंधन ही साधु समाज है। धर्म शास्त्रों का बार-बार श्रवण करना चाहिए। अपनी बात सरकार को सलीके के कहेंगे जरूर सुनेगी। साधु का आचरण अनुकरणीय होना चाहिए। स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि समाज में धार्मिक संतुलन बनाए रखना साधु-संतों की जिम्मेदारी है। उत्साह से ही शिथिलता दूर होगी। एकत्रित होकर बेहतर समाज बना सकते हैं। यहाँ की बेटियों ने समस्त साधु समाज का भव्य स्वागत किया। साधु समाज नए सूर्योदय के साथ आगे बढ़ेगा। स्वामी जी ने इसका श्रेय पातेपुर मठ के मुख्य कार्यकारी व साधु समाज के प्रदेश महामंत्री विश्वमोहन दास को दिया। युवा साधु समाज की सेवा करेंगे। अधिवेशन में मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष महंत श्रीकांत शरण दास, प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष महंत सुमिरन दास, महंत कमलनारायण दास, श्रीप्रकाश गिरि, श्री शिवराम दास जी, श्री मिथिलेश दास जी, श्री बलराम दास ने अपने-अपने उद् गार व्यक्त किए। मुख्य सभागार में डॉ. राणा रवींद्र कुमार ने प्रस्तुत किए, एहन सुंदर कौन धाम, यो भैया सबसे पावन एहि धरती पर मिथिला धाम…।

swatva

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