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भारत में नवरात्र बंद, रामनवमी बंद, फिर मौलाना क्यों बंटवाता रहा कोरोना?

नयी दिल्ली : हिंदू बहुलता वाले भारत में कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के लिए नवरात्रि बंद, रामनवमी बंद। लेकिन इस्लामी प्रचारक नहीं माने और वे घूम—घूमकर पूरे भारत में कोरोना बांटते रहे। भारत के विभिन्न मस्जिदों—मदरसों में छिपे इन ‘कोरोना बमों’ के लिए मजहबी जुनून सबसे ऊपर है। कोरोना से भी ऊपर। भारत से भी ऊपर। आइये जानते हैं ऐसा क्यों? तबलीगी मरकज के मौलाना साद का आज एक आडियो वायरल हुआ है जो भारत के खिलाफ ‘कोरोना’ साजिश’ की पोल खोल देता है।

तबलीगी जमात के मौलवी का साजिश वाला ऑडियो वायरल

दिल्ली के निजामुद्दीन में अभी भी तबलीगी जमात के 1500—2000 लोग लॉकडाउन के मकसद को फेल कर रहे हैं। मरकज की तमाम सफाइयों के बीच जमात के मुखिया का एक वायरल ऑडियो अलग ही कहानी बयां कर रहा है। तबलीगी जमात के मौलाना साद का एक कथित ऑडियो सामने आया है जिसमें वह कोरोना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि—’मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह नहीं हो सकती’। इससे साफ है कि उन्हें पहले से पता था कि ऐसे जुटने से कोरोना का खतरा है।

पढ़िये कोरोना पर मजलिस में क्या कहा था मौलाना साद ने

वायरल ऑडियो में मरकज के चीफ मौलाना साद कई बातें कहते सुनाई दे रहे हैं। इस दौरान वहां कुछ लोग पीछे से खांस भी रहे हैं। ऐसे में लगता है कि वहां कोरोना पहले ही पहुंच चुका था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। मौलाना साद ऑडियो में कहते सुनाई देते हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी। मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती।

इतनी बड़ी इस्लामिक गैदरिंग बड़ा अपराध : केजरीवाल

इस मामले पर दिल्ली सीएम केजरीवाल ने कहा कि—आज कोरोना ने सारे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। बड़े—बड़े विकसित देश नहीं बचे। अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन में हजारों लोग मर रहे हैं। ऐसे टाइम में इस्लामिक प्रचार के लिए भारत में एक जगह 2 से 3 हजार लोगों को इकट्ठा करना काफी गैरजिम्मेदार और क्रिमिनल हरकत थी। इस वक्त नवरात्रि और रामनवमी का समय चल रहा है। कितने लोग मंदिरों में जमा होते थे। लेकिन अभी कहीं लोग इकट्ठा नहीं हो रहे। गुरुद्वारे सारे बंद हैं। चर्च बंद हैं। यहां तक कि मक्का और वेटिकन सिटी भी खाली हो गया है। ऐसे में दिल्ली में इतनी बड़ी इस्लामिक गैदरिंग करना और भारत भर में घूम—घूमकर एक धर्म विशेष का प्रचार करना भारत और भारत के लोगों के साथ अपराध नहीं तो और है।

वोटबैंक की राजनीति ने भारत को बड़े खतरे में डाला

अब प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों हुआ और लॉकडाउन को इस्लामी प्रचारकों ने क्यों नहीं माना। दरअसल इस सारे मसले का बीज हमारी नकली धर्मनिरपेक्षता वाली सोच में मिल जाएगी जो भारतीयता को किलर वायरस की तरह ही मिटाने पर आमदा है। हमारे राजनीतिक दलों ने हमेशा से मुस्लिमों को वोटबैंक के नजरिये से देखा है। उनके लिए मुस्लिम मतलब धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों पर भारतीय कानून लागू करना मतलब उनका उत्पीड़न और सांप्रदायिकता। राजनीतिक दलों के इसी क्षुद्र वोटबैंक वाली सोच ने देश के मुस्लिम जमातों को खुद को भारतीय कानून से ऊपर होने की बात सोचने का मनोबल दे दिया। यही कारण है कि उन्होंने कोरोना जैसे वैश्विक संकट के दौर में भी मजहबी प्रचार को ज्यादा जरूरी समझा और लॉकडाउन को तार—तार कर दिया।

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