पटना/कोलकाता : पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिश्वास की शनिवार की शाम हुई हत्या से एक साथ कई प्रश्न खड़े हो गए हैं। विश्वास बंगाल के मतुआ समुदाय के अच्छे नेता माने जाते थे। भाारत विभाजन के बाद मतुआ समुदाय के लोग पूर्वी बंगाल से पलायन करके पश्चिम बंगाल में चले आए थे। वहां इस समुदाय की संख्या अच्छी है। ये लोग राजनीतिक रूप से सचेत और संगठित हैं। स्वाभाविक रूप से ये दक्षिणपंथी विचारधारा के करीब माने जाते रहे हैं। नदिया जिले में गोली मारकर जब उनकी हत्या की गयी थी, उससे कुछ ही मिनट पहले बंगाल सरकार की एक मंत्री वहां से गुजरी थीं। सत्यजीत विश्वास कृष्णगंज के विधायक थे। मात्र 37 वर्ष की आयु में ही उनकी पकड़ बंगाल की राजनीति में अच्छी हो गयी थी। सूत्र बताते हैं कि विश्वास भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में थे। विधायक की हत्या के बाद पुलिस की गतिविधि को लेकर भी कई प्रकार के संदेह व्यक्त किए जाने लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि विधायक को गोली मारने वाले अपराधियों की पहचान आसानी से हो सकती है। लेकिन, पुलिस ने इस मामले को दूसरी दिशा में मोड़ दिया। तृणमूल कांग्रेस द्वारा मुकुल राय को इस मामले में नामजद किए जाने के बाद यह राजनीतिक रूप ले चुका है। घटना के कुछ ही मिनट पूर्व तक मंत्री रत्न घोष और नादिया तृणमूल कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष गौरीशंकर दत्ता भी मंच पर मौजूद थे। वहां पुलिस के अधिकारी भी जरूर मौजूद होंगे। ऐसे में इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों की पहचान बहुत मुश्किल नहीं है।
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