नवादा : शुद्ध घी के नाम पर इंसान ही नहीं भगवान को भी धोखा देने में माफिया पीछे नहीं हट रहे हैं। एक तरफ भगवान पर चढ़ाने के लिए शुद्ध घी 160 रुपये किलो बेचा जा रहा है, तो दूसरी तरफ खानेवाला शुद्ध घी 460 रुपये बेचा जा रहा है। यह घी किसी ब्रांड का नहीं होता है, बल्कि खुला निर्माण ताजा शुद्ध घी के नाम से बेचा जा रहा है।
इतना ही नहीं, इसे बंगाल के ब्रांडेड पूजा का घी, जो गणेश घी के नाम से बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत प्रति किलो 480 रुपये है, वही गोला रोड में 160 रुपये बेचा जा रहा है।
बता दें कि इन दिनों त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में शुद्ध घी की मांग काफी बढ़ जाती है। जाहिर सी बात है कि खपत को देखते हुए बाजारों में मिलावटयुक्त शुद्ध घी बड़े पैमाने पर तैयार करने में कारोबारी जुट जाते हैं। देशी घी जिले में वनस्पति और रिफाइंड आयल से खुशबूदार बनाये जाने का गोरखधंधा बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल करने पर शुद्ध घी की तरह खुशबू तो देगा।
लेकिन, इसमें होनेवाली मिलावट स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक भी हो सकती है। जिला मुख्यालय में इन दिनों सिंथेटिक दूध के साथ विभिन्न ब्रांडों के नकली देशी घी भी बाजारों में बिक रहे हैं। असली और नकली की पहचान आम लोगों को नहीं होती है। खुला देशी घी कस्बों में 450 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम तक भी बिक रहा है, जबकि नकली घी बनाने की लागत मुश्किल से 150 रुपए प्रति किलोग्राम ही होती है।
इस घी को शहर के गोला रोड में बड़े पैमाने पर तैयार किया जा रहा है। किसी को बनावटी देशी घी होने का शक न हो, इसके लिए इसे खुलेआम बानाने की व्यवस्था की गयी है। अधिक मुनाफा कमाने की लालच में बनावटी घी तैयार करनेवाले दुकानदार खूब मालामाल हो रहे हैं। इन्हें किसी की सेहत से लेना-देना नहीं रहता है।
ऐसे तैयार होता है खुशबूदार देशी घी
जानकार बताते हैं कि मिलावटी देशी घी तैयार करने के लिए 40 प्रतिशत रिफाइंड आयल और 60 प्रतिशत एक अन्य वनस्पति को मिलाते हैं, इसके अलावा उबला हुआ आलू और कोलतार डाई का भी इस्तेमाल किया जाता है। वनस्पति से ही तैयार करते हैं क्योंकि यह दानेदार होता है।
क्वालिटी को अच्छा करने के लिए पांच से 10 प्रतिशत असली देशी घी भी मिलाते हैं। देशी घी स्वाद के साथ कड़कपन लाता है। एक क्विंटल तैयार मिलावटी माल में 10 ग्राम घी की महक वाला सेंट भी मिलाया जाता है। फिर निश्चित तापमान तक गरम करते हैं। इसकी विभिन्न ब्रांडों में मशीन से पैकिंग की जाती है।
बेख़बर है विभाग
शहरी क्षेत्र में क्विंटलों बनावटी देशी घी तैयार किया जा रहा है। तैयार किये गये घी की पैकिंग न करके खुला माल की बिक्री खुदरा कारोबारियों के माध्यम से गांवों में की जाती है। बताया कि एक किलोग्राम मिलावटी देशी घी बनाने में करीब सौ रुपये की लागत आती है। बावजूद फूड विभाग की नजर ऐसे कारोबारियों पर नहीं पड़ती है।
स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा असर
इस प्रकार से बनाया गया मिलावटी देशी घी लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। इस मिलावटी देशी घी की खास पहचान यह है कि लगभग दो सप्ताह बाद इसकी खुशबू कम होने के साथ-साथ स्वाद भी बदल जाता है।
इस संबंध में डॉ प्रभाकर सिंह ने बताया कि नकली देशी घी लोगों के पेट तथा फेफडों के साथ-साथ हृदय पर बुरा असर डालता है। इसका सेवन करने से दमा, खांसी जैसी अनेकों बीमारियां हो सकती हैं।
गोला रोड बना नकली घी बनाने का हब
शहर के गोला रोड के दुकानदारों से जब पूछा गया कि भगवान पर चढ़ानेवाला देशी शुद्ध घी 160 रुपये और खानेवाला शुद्ध घी 460 रुपये क्यों बेच रहे हैं, तो जवाब देने में हिचकिचा गये, जो इस बात का प्रमाण दे रहा था कि मिलावटी घी के गोरखधंधे में सभी संलिप्त हैं।
बता दें कि बंगाल से आनेवाला पूजा का शुद्ध गणेश घी 480 रुपये में बिकता है। इसके अलावा खानेवाले शुद्ध में अमूल का घी 460 रुपये व पतंजलि का शुद्ध घी 550 रुपये बेचे जा रहे हैं। लेकिन, खुदरा बिक्री में इसकी शुद्धता पर उंगली उठ रही है।
ऐसे करें शुद्ध घी की पहचान
एक कटोरी में एक चम्मच घी में चार बूंद हाइड्रो क्लोरिक एसिड और एक चुटकी चीनी मिलाने पर यदि घी का रंग चटक लाल हो जाये, तो घी में डालडा मिलाया गया है।
एक चम्मच घी में चार से पांच बूंद आयोडीन मिलाएं, घी का रंग नीला पड़े, तो उबला हुआ आलू मिलाया गया गया है। एक चम्मच घी में दो एमएल हाइड्रो क्लोरिक एसिड डालने पर घी लाल हो जाये, तो कोलतार डाई का इस्तेमाल किया गया है। थोड़ा सा घी लेकर हथेली के पीछे भाग में रगड़ें. यदि 25 मिनट में ही घी का सुगंध चला जाये, तो मिलावटी घी होगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
शहर में नकली शुद्ध घी की बिक्री की सूचना मिल रही है। यह एक बड़ा अपराध है. ऐसे लोगों पर नकेल कसा जायेगा, साथ ही कार्रवाई कर उन कारोबारियों को कभी बख्शा नहीं जायेगा। नकली घी तैयार कर बेचने वाले को किसी भी स्थिति में छोड़ा नहीं जायेगा। इसके लिए प्रशासन द्वारा छापेमारी अभियान शुरू किया जायेगा। पकड़े जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी।