इस वजह से मिला शंभू शरण पटेल को टिकट, कहीं ये तो नहीं BJP की रणनीति,
पटना : भाजपा ने बिहार से राज्यसभा चुनाव को लेकर अपने प्रत्याशियों की घोषणा बीते रात कर दी है। इस बार भाजपा के तरफ से एक नए चेहरे को शामिल किया गया है जिसकी चर्चा पार्टी कार्यालय से लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी तेजी से हो रही है। वहीं, इस बात की भी चर्चा भाजपा ने एक सामान्य नेता को राज्यसभा भेजने का फैसला किया।
बता दें कि,भाजपा ने इस बार सतीश चंद्र दुबे के साथ शंभू शरण पटेल को राज्यसभा भेजने का निर्णय किया है। वहीं, शंभू शरण पटेल के नाम राज्यसभा के लिए चुने जाने पर भाजपा के अलावा अन्य दलों के अंदर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे तो शंभू शरण पटेल प्रदेश सचिव के पद पर जरूर थे, लेकिन इनके बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी थी। सब लोगों में सब लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि आखिर वह क्या बजा रही जो गोपाल नारायण सिंह का टिकट काट इनको टिकट दिया गया।
भाजपा का पहला और पुराना फार्मूला
तो, सबसे यह बता दें कि भाजपा का एक पुराना फार्मूला है कि उनके पार्टी से कोई भी नेता 70 साल की आयु अवस्था को पार करने के बाद संसदीय राजनीति में नहीं रहता है।इस कारण से गोपाल नारायण सिंह का पत्ता कटा और शंभू शरण पाटिल को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया।
यह हो सकता है मुख्य वजह
इसके बाद जीस फोर्मुले कि चर्चा सबसे अधिक हो रही है,वह है कि शंभू शरण पटेल ओबीसी समाज यानी कुर्मी समाज के उपजाति यानी धानुक समाज से आते हैं और भाजपा भी यह बात भली भांति जानती है कि उसको यदि बिहार में पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी है तो इस समाज का समर्थन लेना बेहद जरूरी है, ऐसे में भाजपा इनके जरिए ओबीसी के पुराने और युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश की है। दरअसल भाजपा इस समाज में यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा सिर्फ ऊपर के वर्गों पर ही नहीं बल्कि नीचे के वर्गों पर भी ध्यान देने वाली पार्टी है।
धानुक और कुर्मी समाज के लोगों की हो बात
इसके अलावा पूरे बिहार में अभी भी धानुक और कुर्मी समाज नीतीश कुमार को हो अपना नेता मानता है ऐसे में यदि भाजपा को इन वोटरों में सेंध लगाना है, तो उसको सबसे पहले इस समाज के एक आम लोगों को किसी बड़े पद पर रखना होगा ताकि वह उच्च सदन में जाकर इस समाज की बातों को रख सके और वहां से इस समाज को लेकर भाजपा के तरफ से मदद हो,तब ऐसा विचार किया जा सकता है कि यह समाज नीतीश से पाला झाड़ भाजपा को अपना समर्थन दें। तब कहीं आने वाले दिनों में यदि भाजपा बिहार में अकेले सरकार बनाने को सोचें तो उसको इस समाज का पूरा साथ मिल सके।
वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अभी बिहार में इस समाज की सबसे अधिक आबादी कहीं है तो वह बिहार का नालंदा और उसके आस-पास का ही क्षेत्र बताया जाता है ऐसे में भाजपा को भी इसी क्षेत्र से किसी ऐसे नेता की तलाश थी जो कि इन्हीं इलाकों में से कहीं का हो और एक आम नेता की छवि रखता हो, ताकि जनता को अपनी बात बताने में कोई कठिनाई ना हो। इसलिए भाजपा ने शेखपुरा जिला से अपने कैंडिडेट की तलाश की जो की नालंदा से करीबी जिला बताया जाता है।
जानिए कहां के हैं शंभू शरण पटेल
जानकारी हो कि, शंभू शरण पटेल शेखपुरा जिले के चेवाड़ा प्रखंड के छठिआरा गांव से आते हैं, ये ओबीसी यानी धानुक समाज से आते हैं और यदि बात करें सिर्फ शिवपुरा जिले की तो यहां इस समाज के लगभग 50 हजार से अधिक मतदाता है।इसके अलावा इनकी मुंगेर और लखीसराय और नालंदा जिले में भी अपने समाज के बीच काफी मजबूत पकड़ बताई जाती है।
बहरहाल, अब देखना यह है कि भाजपा ने ओबीसी समाज के इस नेता को तो अपना टिकट दे दिया है लेकिन भाजपा को इनसे जो चाहत है उस चाहत पर यह कितना खरा उतरते हैं और भाजपा को इससे कितना लाभ आने वाले दिनों में मिलता है।