सुपौल/पटना : बिहार में कोरोना की आफत ने बाढ़ की विपदा से कदमताल मिला लिया है। इस डबल अटैक का नतीजा यह कि अब कोरोना से बचाव के लिए विभिन्न जिलों में बने कोविड अस्पताल इलाज से ज्यादा संक्रमण प्रसार का केंद्र बनने लगे हैं। हाल में बारिश से लबालब हुए आरा सदर अस्पताल का मामला सामने आया था जहां कोरोना के सैंपल पानी में तैरते मिले। वहीं अब बाढ़ के पानी ने सुपौल में बने कोविड अस्पताल को लबालब कर दिया है। यहां अभी कुल 3 मरीज भर्ती हैं और डॉक्टर तथा नर्स ठेले में लदकर अंदर दाखिल हो पा रहे हैं।
महामारी के दौरान डॉक्टरों को कोरोना वारियर्स की संज्ञा दी जा रही है। लेकिन सुपौल के कोविड अस्पताल में जो दृश्य दिख रहा है वह वहां के डॉक्टरों के जज्बे को साक्षात ईश्वर का अवतार साबित करता है। यहां नियुक्त डॉक्टर साहब बिना नागा पानी में डूबे अस्पताल में मरीजों की देखभाल करने ठेला पर सवार होकर आते हैं।
यह अस्पताल सुपौल के नगर पंचायत के वार्ड-12 स्थित पब्लिक रेस्ट हॉउस में बना कोविड केयर सेंटर है। परिसर में पानी भरे होने के कारण यहां डॉक्टर व नर्स को भी मुख्य सड़क से अंदर कमरे में जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल इस कोविड केयर सेंटर में दो मरीज हैं और दोनों का इलाज जारी है।