बर्फ पर दिखेगा बिहारियों का जलवा, स्की एंड स्नोबोर्ड में बिहार को मान्यता, गौतम बने अध्यक्ष
स्की एंड स्नोबोर्ड बर्फीले स्थानों पर खेला जाने वाला प्रसिद्ध खेल है। लेकिन, बिहार जैसे शुष्क प्रदेश में बर्फ नहीं होने के कारण इस खेल के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, जबकि अगर इस खेल का प्रचार—प्रसार किया जाए, तो बिहार के अनेक खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान के साथ—साथ रोजगार का भी अवसर उपलब्ध होगा।
मई के अंतिम सप्ताह में नई दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ की देखरेख एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें स्की एंड स्नोबोर्ड इंडिया (एसएसआई) का पुनर्गठन हुआ। मुंबई के सुरेश अग्रवाल को अध्यक्ष तथा रूप चंद नेगी को महासचिव बनाया गया। आरंभी अभी सिर्फ सात राज्य इसके सदस्य हैं, जिसमें बिहार भी शामिल है। डॉ. गौतम कुमार को स्की एंड स्नोबोर्ड एसोसिएशन आॅफ बिहार का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
बिहार बना फाउंडर मेंबर
इस संबंध में डॉ. कुमार ने बताया कि एसएसआई के पुनर्गठन के बाद बिहार इसका संस्थापक सदस्य है। जापान, रूस, यूक्रेन समेत अमेरिका व यूरोप के कई देशों में यह खेल लोकप्रिय है। विंटर ओलंपिक में तो यह सबसे महत्वपूर्ण खेल है। भारत में बर्फ वाली जगहों पर ही इसके बारे में लोग जानते हैं। जम्मू—कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में ही इस खेल को खेला जाता है। इसे खेलने के लिए उच्च घनत्व वाली बर्फ पट्टी चाहिए, जो सभी जगह उपलब्ध नहीं है।
बिहारी खेलेंगे बर्फ पर
बिहार में इस खेल की संभावनाओं के बारे में गौतम कुमार उत्साहित होकर कहते हैं कि आमतौर पर लोगों को लगता है कि बिहार में बर्फ नहीं होता, तो इस खेल में बिहार क्या करेगा? लेकिन, इसकी व्यवस्था की जा रही है। पहले इस एसोसिएशन का जिलास्तर पर सांगठनिक विस्तार करना है, ताकि बिहार के कोने—कोने से प्रतिभावान खिलाड़ियों को अवसर मिले। अन्य खेलों की तरह इसमें फिर क्लब बनाया जा सकेगा, जिसमें स्कूलों व कॉलेजों को प्राथमिकता दी जाएगी। फिर पुरुष व महिला वर्ग में उम्र के आधार पर तीन—तीन खंड बनेंगे। कुल 6 खंड में 24 खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा।
बिहार में होगा खास इंतजाम
इच्छुक खिलाड़ियों के लिए बिहार में कृत्रिम बर्फ स्लोप तैयार किए जाएंगे, जिसे आइस मैट्रेस कहते हैं। इससे पहले उन्हें वीडियो के माध्यम से वर्चुअल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पर अभ्यास करने के बाद असली प्रशिक्षण के लिए इन खिलाड़ियों को हिमाचल व उत्तराखंड ले जाया जाएगा। वहां पर बिहार के लिए आइस स्लोप बुक कराया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग दे चुके खिलाड़ियों को अनुबंधित किया जाएगा।
इस खेल में लाभ ही लाभ
डॉ. कुमार आगे बताते हैं कि इस एक ऐसा खेल है, जिसमें एक साथ चार प्रकार के लाभ हो सकते हैं। इसके खिलाड़ियों को पर्यटन, मनोरंजन, प्रतिस्पर्धा व रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। भारत—तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी) में सैनिकों की भर्ती होती है। वहां इस खेल के खिलाड़ियों की खूब मांग रहती है। इसके अलावा भारत सरकार के श्रम संसाधन एवं खेल मंत्रालय में इस खेल का अलग से कोटा निर्धारित है। इस खेल में यह एडवांटेज है कि इसमें पढ़ाई बाधित नहीं होता, क्योंकि यह साल में अधिकतम दो—तीन महिने ही खेला जाता है। अभी प्रतिस्पर्धा कम होने से शुरू में जुड़े खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिल सकता है।
अभी ये हैं चुनौतियां
बिहारी समाज के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. कुमार कहते हैं कि यहां के लोग खेलों के प्रति संकोची होते हैं। बिहार में इस खेल के लिए काम करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इस खेल के प्रति लोगों में ज्ञान का अभाव है तथा खेल संघों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में खिलाड़ियों को प्रायोजक उपलब्ध कराना चुनौती भरा होगा। इसमें निजी क्षेत्र के लोग आगे आएं तो बात बन सकती है।
वे आगे कहते हैं कि इस खेल में यह एडवांटेज है कि इसमें पढ़ाई बाधित नहीं होता, क्योंकि यह साल में अधिकतम दो—तीन महिने ही खेला जाता है। इसमें रुचि के अनुसार, प्रशिक्षण कोर्स की भी व्यवस्था है। गढवाल मंडल विकास निगम की ओर से भी स्की एंड स्नोबोर्ड का प्रशिक्षण दिया जाता है। जो बच्चे भविष्य में एथलिट बनना चाहते हैं, उनके लिए यहां अच्छे मौके हैं।