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बंद के बहाने तेजस्वी ने महागठबंधन को बताई औकात

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में 21 दिसंबर को राजद ने बिहार को बंद रखा। इस बंद को महागठबंधन के सभी दलों ने समर्थन किया था। लेकिन, राजद ने बड़ी सूझबूझ से महागठबंधन के सभी दलों कांग्रेस, वीआईपी,रालोसपा,हम और वामदलों को ठेंगा दिखा दिया।

ज्ञात हो कि इससे पहले 19 को वामदलों समेत महागठबंधन के सभी दलों ने सामूहिक रूप से बिहार को बंद रखने का एक असफल प्रयास किया था। लेकिन, इस बंद से राजद ने दूरी बना ली थी। 21 दिसंबर को राजद ने बिहार बंद का एलान किया था। जिसमें वाम दलों को छोड़कर महागठबंधन के सभी दलों ने समर्थन किया। जिसमें रालोसपा,कांग्रेस,हम,वीआईपी और समाजवादी पार्टी के समर्थक नज़र आये।

रैली की शुरुआत

तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद कार्यालय से इनकम टैक्स गोलंबर होते हुए भीड़ डाकबंगला चौराहे तक पहुँची। जिसमें राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, अब्दुल बारी सिद्दीकी तथा जयप्रकाश यादव शामिल थे। तेजस्वी ने भीड़ को संबोधित किया।लेकिन, वहीँ इस बंद को समर्थन देने पहुंचे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को राजद ने पूरी तरह से नज़रअंदाज कर दिया। नेता प्रतिपक्ष ने महागठबंधन के नेताओं का नाम लेना उचित नहीं समझा और तेजस्वी ने अपने सम्बोधन में एक बार भी कुशवाहा या मदन मोहन झा का ज़िक्र नहीं किया।

पहली घटना

दरअसल कहानी शुरू होती है राजद के राष्ट्रीय अधिवेशन से जहाँ राजद ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया। राजद का यह फैसला महागठबंधन के अन्य दलों को रास नहीं आया तथा कांग्रेस,रालोसपा और हम ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया।

राजद ने महागठबंधन के दलों को ताकत दिखाने के लिए अलग से बिहार बंद रखा ,जिसको समर्थन तो महागठबंधन के सभी दलों ने किया। लेकिन, राजद ने किसी को पूछा तक नहीं। और हजारों की संख्या में लोगों को जुटाकर गठबंधन में शामिल में अन्य दलों को अपनी ताकत का एहसास दिखा दिया। तेजस्वी जिस मंच से लोगों को सम्बोधित कर रहे थे ,वहां से 10 मीटर की दूरी पर कुशवाहा को पूछे तक नहीं और कुशवाहा कुछ लोगों के साथ बैठे नज़र आये।

दूसरी  घटना

दरअसल, महागठबंधन की तरफ से बिहार बंद को लेकर आज एक प्रेस कांफ्रेंस होनी थी जिसमें सभी घटकों ने शामिल होने पर सहमति दी थी। लेकिन वीआईपी पार्टी की तरफ से जारी पत्र में राजद के प्रदेश अध्यक्ष का नाम सबसे नीचे डाला गया था। इससे जगदानंद सिंह नाराज हो गए और उन्होंने महागठबंधन की पीसी से दूरी बना ली।

मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में विपक्ष को एकजुट करने की सारी कोशिश तार—तार होती उस दिन दिखी जब इस मुद्दे पर बुलाए गए बिहार बंद को लेकर महागठबंधन एक प्रेस कांफ्रेंस रखी थी। इसमें राजद समेत तमाम घटकों को शामिल होना था। लेकिन, ऐन मौके पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस पीसी से किनारा कर लिया। राजद के इस व्यवहार को रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने विपक्षी एकता के लिए घातक बता नाराजगी जाहिर की थी।

कुशवाहा का तंज

उपेंद्र कुशवाहा ने तंज कसा कि खुद पीसी बुलाकर राजद गायब हो गया। हम तो चाहते थे कि एक ही दिन बिहार बंद बुलाया जाए। लेकिन, राजद की जिद पर ही दो दिनों—19 और 21 दिसंबर को बिहार​ बंद बुलाया गया। 19 को वाम दलों का और 21 को राजद का। लेकिन अब राजद खुद इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। इसका जवाब तो उन्हें ही देना होगा।