बाल फिल्म महोत्सव में बोले मंत्री, जिला स्तर पर दिखाई जाएंगी फिल्में

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जल्द तैयार होगी बिहार फिल्म नीति : मंत्री

बच्चों का चीजों को देखने का जो नजरिया होता है, वह बिलकुल अलग : अंजनी कुमार सिंह

राज्य में बनने वाली फिल्मों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा : अपर मुख्य सचिव

दो दिवसीय बाल फिल्म महोत्सव हिंदी, मैथिली, अंग्रेजी फिल्मों के होंगे प्रदर्शन

पटना : कला, संस्कृति एवं युवा विभाग अंतर्गत बिहार फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड के द्वारा दो दिवसीय बाल फिल्म महोत्सव 2023 की शुरुआत बुधवार को बिहार संग्रहालय में हुई। इस अवसर पर मंत्री जितेन्द्र कुमार राय ने अपने संबोधन में कहा कि बाल फिल्म महोत्सव के दौरान बच्चों को उन गुणवत्ता पूर्ण एवं गैर फीचर फिल्मों को भी देखने का मौका मिलता है, जो वह सिनेमाहाल में नहीं देख पाते। फिल्मों का बच्चों, खासकर किशोरों पर काफी प्रभाव पड़ता है । यह उनके मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक है। मंत्री ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन प्रमंडल और जिला स्तर पर भी किये जायेंगे ताकि सभी बच्चों तक फिल्मों के माध्यम से सन्देश पहुचाएं जा सकें। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेन्द्र कुमार राय ने बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा, ‘चिड़ियाखाना’ फिल्म के निर्देशक मनीष तिवारी एवं महाप्रबंधक रूबी की उपस्थिति में दीप जलाकर किया।

बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों का चीजों को देखने का जो नजरिया होता है, वह बिलकुल अलग होता है। उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए विशेष तकनीक की जरुरत नहीं। वे मोबाइल का प्रयोग कर अद्भुत और अनूठे फिल्म बना लेते हैं। फिल्म प्रोमोशन नीति के आने से बिहार के युवा प्रतिभाओं को मौका मिलेगा। यहाँ शूटिंग के लिए काफी मनोरम स्थल एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध है।

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फिल्म देखतीं बच्चियां

विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि बिहार फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड हर साल बाल फिल्म महोत्सव का आयोजन करता है। इस महोत्सव का उद्देश्य किशोरों से जुड़े विषयों पर बनी फिल्मों का प्रदर्शन करना है। बिहार सरकार अपनी एक फिल्म नीति बना रही है, जिसमें राज्य में बनने वाली फिल्मों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिल्मों के निर्माण के साथ ही उनके प्रचार-प्रसार की भी जरुरत है, ताकि अच्छी बनी फिल्मों के बारे में लोग जान सकें। बिहार में एक बड़ी संख्या युवाओं की हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि इनसे जुड़े मुद्दों पर ज्यादा फिल्मों का निर्माण किया जाए। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा विभिन्न जिलों में प्रेक्षागृहों का निर्माण किया गया है, उसमें इस प्रकार के बाल फिल्म महोत्सवों के आयोजन किए जाएंगे।

महोत्सव के पहले दिन आज 3 स्लॉट में मनीष तिवारी निर्देशित फिल्म चिड़ियाखाना, गोविन्द निहलानी की अप, अप एंड अप और फिल्म मेजर दिखलाई गई। चिड़ियाखाना फिल्म के प्रदर्शन के बाद दर्शकों के साथ परिचर्चा की गई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा, फिल्म के निर्देशक मनीष तिवारी और मॉडरेटर के रूप में फिल्म क्रिटिक और पटना विश्वविद्यालय के अकेडमिशियन प्रशांत रंजन उपस्थित रहे। तिवारी ने बच्चों द्वारा पूछे गए फिल्मों के उत्तर भी दिए।

​फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ के प्रदर्शन के बाद परिचर्चा में बच्चों के प्रश्नों के उत्तर देते फिल्मकार मनीष तिवारी (मध्य)। साथ में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा (बाएं) एवं परिचर्चा के मॉडरेटर फिल्म एनालिस्ट प्रशांत रंजन (दाएं)

कार्यक्रम के अंत में बिहार फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड की महाप्रबंधक रूबी ने सभी गणमान्य अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उद्घाटन सत्र का समापन किया। पूरे दिन के कार्यक्रम के दौरान लगभग 6 विद्यालयों एवं नारी गुंजन की बालिकाओं सहित कुल 500 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम का मंच संचालन सोमा चक्रबर्ती ने किया। बृहस्पतिवार को इस महोत्सव में लोटस ब्लूम, झट आई बसंत, और कैट एंड डॉग दिखाई जाएंगी।

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