बहुओं ने उठाई रूढ़ियों की अर्थी, पढ़िए कैसे

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नवादा : भारतीय संस्कृति के मुताबिक घर पर किसी की मृत्यु होने पर उसकी अर्थी को पुरूष ही कंधा देते है। समाज के इसी मिथक को तोड़ते हुए जब बहू ने अपने ससुर के निधन पर अर्थी को कंधा दिया तो हर आंख नम हो गई।

अकबरपुर पांती पंचायत की महिला सरपंच शारदा देवी के ससुर नकुल पंडित (60वर्ष) का निधन ठंड के कारण हो गई। उनकी चारों बहूओं ने अर्थी को कंधा देकर बेटों का फर्ज निभाया। श्मशान घाट ले जाने में जब फर्ज निभाया तो लोगों ने सराहना करते हुए कहा कि यह अच्छी परंपरा की शुरुआत है। अब कोई बेटे के भरोसे कोई काम नहीं रुकेगा।

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नकुल पंडित एक सामाजिक और धर्म परायण व्यक्ति थे। वे पांती पंचायत की दुर्गा पूजा समिति के लंबे अरसे से कोषाध्यक्ष पद का कार्यभार संभालते आ रहे थे। लेकिन अचानक बुधवार को ठंड से उनका तबीयत बिगड़ गई। जब उनको इलाज के लिए अकबरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।

सूचना के बाद उनको परिवार एवं उनके चाहने वालों के बीच शोक का लहर दौड़ गया लोग आंखों से अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान अकबरपुर आजाद मोहल्ला पहुंचे और बुद्धिजीवी लोगों ने उनके मृतक शरीर पर पुष्पांजली देते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की ।

महिला सरपंच शारदा देवी ने कहा कि अर्थी को कंधा देना  इसका मकसद समाज को यह संदेश देना था कि किसी काम पर पुरुषों का एकाधिकार नहीं है। महिलाएं भी हर वह काम कर सकती हैं जो पुरुष करते रहे हैं।

शव यात्रा सुबह नौ बजे निकली तो बहू शारदा देवी, रेखा देवी, बिंदु देवी, पूनम देवी, गुड़िया देवी, सुलेखा देवी के साथ उनके बड़े पुत्र विनोद पंडित, प्रमोद पंडित, नगीना पंडित, गुड्डू पंडित एवं परिवारके साथ ग्रामवासी उनके शव यात्रा में शामिल होकर खुरी नदी किनारे पहुंचकर हिंदू रीति रिवाज के अनुसार दाह संस्कार किया।

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