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बाहर निकलने को छटपटा रहे शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट का झटका

पटना/नयी दिल्ली : आरजेडी के पूर्व सांसद व बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को आज सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त झटका देते हुए उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। सिवान में चंदा बाबू के दो बेटों की हत्या के मामले में कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गयी उम्रकैद की सजा को कायम रखते हुए शहाबुद्दीन की अपील को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने शहाबुद्दीन के वकीलों से कई सवाल पूछे, लेकिन वकील कोई ठोस जवाब देने में नाकाम रहे।
कोर्ट ने वकीलों से पूछा कि इस दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की कोर्ट में गवाही देने जाते समय हत्या क्यों की गई? इस हमले के पीछे कौन था? ठोस जवाब न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देगा। शहाबुद्दीन की अपील में कोई कानूनी तथ्य नहीं है।

मालूम हो कि अगस्त 2004 में सिवान में सतीश और गिरीश रोशन की तेजाब से नहला कर हत्या कर दी गई थी। इस दोहरे हत्याकांड में 9 दिसंबर 2015 को निचली अदालत ने शहाबुद्दीन व अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ शहाबुद्दीन ने पटना हाईकोर्ट में अपील की थी। 2017 में पटना हाईकोर्ट ने भी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत और हाईकोर्ट की सजा को बरकरार रखा है। 6 जून 2014 को इस मामले के चश्मदीद गवाह और दोनों मृतकों सतीश और गिरीश रोशन के भाई राजीव रोशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।