वाल्मीकिनगर वन प्रक्षेत्र में दो शावकों के जन्म लेने के बाद अब बाघों की संख्या 42 हो गई। जंगल में आये दो नये मेहमानों से महज 10 वर्षों में बाघों की संख्या उत्साहजनक हो गई है।
रखी जा रही निगरानी, 10 साल में दोगुनी हुई संख्या
दोनों शावकों की रक्षा के लिए एक टीम गठित कर दी गई है। टीम के कैप्टन ने बताया कि दोनों बाघों को अलग से ही नजर रखी जा रही है। दोनों शावक अपनी गुुफाओं में माता बाघिन की देखरेख में चैन की सांस ले रहे हैं।
दोनों शावकों के जन्म की जानकारी वन पदाधिकारियों को पेड़ों पर लगे कैमरे से हुई। जानकारी मिलते ही जंगल में खुशी छा गई। विश्व में अजूबे नस्ल के लिए अर्थात अपने डीएनए को लेकर प्रख्यात है।
मिली जानकारी के अनुसार, टीम उन तमाम चीजों की व्यवस्था कर दी है जो एक शावक को तथा उसकी माता को चाहिए।
कैमरे के माध्यम से दोनों शावकों पर लगातार नजर रखी जा रही है।
वन के एक अधिकारी ने बताया कि कैमरे से जैसे ही जानकारी मिली वैसे ही एक टीम गठित कर उसकी निगरानी के लिए अवश्यक सामग्रियां उपलब्ध करा दी गईं। जानकारी मिली कि उसके आसपास जाने के लिए टीम को सख्ती से मना कर दिया गया। कारण कि इस समय माता बाधिन काफी संवेदनशील हो जाती है। उसके आसपास जाने पर हमला भी कर सकती है।
हालांकि उसका कोई निश्चित ठिकाना नहीं रहता कारण कि बिल्ली प्रजाति के इस जानवर एक जगी रहता ही नहीं। वह आने शावक को मुंह में टांगे घूमते रहती है, पर रात मेंु अपनी निश्चित गुफा में जाकर सो जाती है।