बदलती दुनिया में सेकुलर के साथ ताकतवर भारत जरूरी, नई शिक्षा नीति रखेगी नींव

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नयी दिल्ली : पीएम मोदी ने आज देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर खुलकर बात करते हुए साफ कहा कि यह नई शिक्षा नीति सेक्यूलर ही नहीं, नए भारत के निर्माण की भी नींव रखेगी। पीएम ने कहा कि तीन-चार साल के मंथन के बाद ही इसे मंजूरी मिली है। हर विचारधारा के लोग इसपर मंथन कर रहे हैं, लेकिन कोई विरोध नहीं कर रहा क्योंकि इसमें कुछ भी एकतरफा नहीं है। ये सिर्फ कोई सर्कुलर नहीं, बल्कि एक महायज्ञ है जो नए भारत की नींव रखेगा और एक मजबूत तथा नई सदी देशवासियों के लिए तैयार करेगा। शिक्षा मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि अब इस नीति को जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों को ध्यान में रखा गया है। पीएम ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है।

कार्यसंस्कृति और क्रिएटिविटी पर फोकस

इसके तहत जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी होगी। इससे कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी. अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया गया है।

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ग्लोबल सिटीजनशीप के साथ भारतीयता

हमने इसमें इस बात का ध्यान रखा है कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है। क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है। नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है। 10+2 को भी खत्म कर दिया गया है, हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है और उन्हें अपनी जड़ों से भी जोड़े रखना है।

स्थानीय भाषा पर क्यों किया गया फोकस?

प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए, ताकि बच्चों को सीखने में आसानी होगी। अभी पांचवीं क्लास तक बच्चों को ये सुविधा मिलेगी। अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम लोगों को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे। आज बच्चों को ये मौका मिलना चाहिए कि बच्चा अपने कोर्स को फोकस करे, अगर मन ना लगे तो कोर्स में बीच में छोड़ भी सके. अब छात्र कभी भी कोर्स से निकल सकेंगे और जुड़ सकेंगे।

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