बाबा गोरखनाथ ने शुरू की खिचड़ी, रविवार संक्रांति पर खायें या नहीं?
सांस्कृतिक डेस्क : हिंदू मान्यताओं में मकर संक्रांति के दिन रात में खिचड़ी खाने की परंपरा है। इससे जुड़ी कथा से पता चलता है कि भारत में खिचड़ी खाने की परंपरा की शुरुआत बाबा गोरखनाथ ने की थी। बताया जाता है कि मध्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना के विरुद्ध बाबा गोरखनाथ और उनके शिष्यों ने भी खूब संघर्ष किया था। इसी दौरान खिलजी की सेना के खिलाफ एक युद्ध में बाबा गोरखनाथ के लड़ाका योगी कमजोर होने लगे। वे युद्ध के कारण भोजन पकाकर नहीं खा पाते जिससे निर्बल पड़ने लगे।
खिलजी से लड़ाई में बाबा गोरखनाथ ने शुरू की परंपरा
तब इसी का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर एक व्यजंन बनाया जिसे बाद में खिचड़ी कहा जाने लगा। खिलजी की सेना जब बाबा गोरखनाथ के इलाके से लौट गई तब बाबा के योगियों ने मकर संक्रांति पर प्रसाद रूप में खिचड़ी बनाना और खाना नियमित शुरू कर दिया। मकर संक्रांति पर तभी से रात में खिचड़ी खाने की परंपरा चल पड़ी। आज भी बाबा गोरखनाथ मंदिर में उन्हें मकर संक्रांति के दिन भोग स्वरूप खिचड़ी चढ़ाई जाती है और फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
खिचड़ी के चावल, नमक, हल्दी-सब्जी का ग्रहों से संबंध
अन्य हिंदू मान्यताओं में भी खिचड़ी को ग्रहों का प्रसाद कहा जाता है। इसका सीधा संबंध ग्रहों से माना जाता है और इसमें डाले गए चावल को चंद्रमा, नमक को शुक्र, हल्दी को गुरु, हरी सब्जियों को बुध और खिचड़ी के ताप को मंगल ग्रह का कारक माना गया है। इसे खाने का व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी खिचड़ी सबसे अच्छा और सुपाच्य भोजन है।
ज्योतिर्विद से जानें राविवार को खिचड़ी खायें या नहीं
इसबार मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार को मनाई जा रही है। मान्यता है कि रविवार के दिन काली उड़द की दाल से बनी खिचड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए। पटना बोरिंग रोड के ज्योतिर्विद नीरज मिश्रा के अनुसार रविवार के दिन शनि से संबंधित चीजों का सेवन करने से कुंडली में सूर्य कमजोर होता है। लेकिन जैसी कि धार्मिक कथा है जिसमें कहा गया है कि मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपनी नाराजगी दूर कर पुत्र शनि के घर उनसे मिलने जाते हैं। ऐसे में रविवार के दिन मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना शुभ रहेगा। मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग ग्रहण करने में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है।