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अयोध्या में मस्जिद नहीं, राम मंदिर ही था, SC ने ASI की रिपोर्ट को माना ठोस सबूत

नयी दिल्ली : दशकों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर आज शनिवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त कर दिया। खचाखच भरे कोर्ट रूम में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने साफ कहा कि हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। सुप्रीम अदालत ने अयोध्या मामले पर ASI की रिपोर्ट को आधार बनाया और कहा कि उसकी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष आया था कि यहां मंदिर था और इसके होने के सबूत मिले हैं।

खाली जमीन पर नहीं बनी बाबरी मस्जिद

सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। एएसआई ने कहा कि खुदाई में जो ढांचा मिला वह मस्जिद का नहीं था। इसके साथ ही एएसआई की रिपोर्ट में ईदगाह और मस्जिद का जिक्र नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विवादित स्थल पर ईदगाह का मामला उठाना आफ्टर थॉट है जो मुस्लिम पक्ष द्वारा एएसआई की रिपोर्ट के बाद उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट किया कि राम जन्मस्थान पर एएसआई की रिपोर्ट पूरी तरह मान्य है।

एएसआई की रिपोर्ट बनी फैसले का आधार

सुप्रीम कोर्ट के रुम नंबर 1 में CJI की अगुवाई में 5 जजों की स्पेशल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी गई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वहां 1949 में 2 मूर्तियां रखी गईं थी। इसके बाद ही कोर्ट ने दूसरा फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़े के दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें वहां कारसेवा की बात कही गई थी। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को लीमिटेशन से बाहर बताया। सीजेआई ने कहा कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक का फैसला नहीं किया जा सकता। हिंदू मुख्य गुंबद को ही राम का जन्म स्थान मानते हैं जबकि मुस्लिम उस जगह नमाज अदा करते थे। हिंदू पक्ष जिस जगह सीता रसोई होने का दावा करते हैं, मुस्लिम पक्ष उस जगह को मस्जिद और कब्रिस्तान बताता है। सीजेआई ने फैसले में साफ कर दिया कि अंदरूनी हिस्से में हमेशा से पूजा होती थी। बाहरी चबूतरा, राम चबूतरा और सीता रसोई में भी पूजा होती थी।

शिया वक्फ बोर्ड की दलीलें हुईं खारिज

इसी के साथ चीफ जस्टिस ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता। खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था। हालांकि एएसआई ये नहीं कहा कि मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं।
फैसला सुनाने से पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि इतिहास जरूरी लेकिन कानून सबसे ऊपर होता है। सीजेआई ने यह भी कहा कि मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी लेकिन 1949 में आधी रात में वहां राम की प्रतिमा रखी गई थी। सीजेआई ने कहा कि वहां मस्जिद कब बनाई गई इसका वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत करेंगे देश को संबोधित

इधर खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत आज नयी दिल्ली में देश को संबोधित करेंगे। दोपहर 1 बजे मोहन भागवत केशवकुंज परिसर झंडेवालान में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश को संबोधित करेंगे।

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