गंगा-सरयू-सोन के तट पर स्थित अयोध्या मठ इस समय सन्त-भक्तों के आवागमन का केन्द्र बना हुआ है। अयोध्या , मिथिला , चित्रकूट और बक्सर आदि स्थानों के अनेक विशिष्ट महान्त और श्रद्धालु निरन्तर मठ में आ रहे हैँ। अवसर है मठ में आज आयोजित होने महन्ताई समारोह का। बताते चलें कि जहाज घाट चिरान्द पर अयोध्या मठ के नाम से प्रसिद्ध श्री रसिक शिरोमणि मन्दिर के महंत श्री महावीर शरण जी का गत जनवरी में देहान्त हो गया है।
महान्त के साकेतवास के निमित्त आयोजित सन्त-समागम और भण्डारे का विशाल आयोजन मठ में हो रहा है। कार्यक्रम के संयोजक आचार्य मिथिलेश नन्दिनी शरण ने बताया कि वैरागी परम्परा के अनुसार दिवंगत महान्त का भण्डारा और इस अवसर पर भजन-प्रवचन आदि के कार्यक्रम दस दिनों से मठ में चल रहे हैं। जिनका कल विशिष्ट महापुरुषों के उद्बोधन और भण्डारे के साथ विश्राम होगा।
इस अवसर पर अयोध्या से पधारे श्रीलक्ष्मण किला ट्रस्ट के अध्यक्ष और महान्त श्रीमैथिलीरमणशरण ने कहा कि हमारे उपासना-दर्शन में सन्त का देहान्त भगवान् के नित्यधाम में प्रवेश माना जाता है अतः इस अवसर को महोत्सव के रूप में सम्पन्न किया जाता। नामजप, ग्रन्थों का पारायण और विद्वानों का प्रवचन आदि इसके अंग हैं। पटना से आये श्री लक्ष्मणकिला ट्रस्ट के सचिव श्री नागेश्वरप्रसाद सिंह ने बताया कि अयोध्या मठ का पुनरूद्धार करने वाले श्री मैथिलीशरण जी पूज्य श्रीकिलाधीश जी के महाराज के शिष्य और किले के ट्रस्टी थे तथा हाल में दिवंगत महान्त जी भी मृत्युपर्यन्त हमारे ट्रस्टी रहे। उनके साकेतवास के बाद हमारे ट्रस्ट के अध्यक्ष और स्वामी श्रीसीतारामशरण जी महराज किलाधीश जी के शिष्य वर्तमान किलाधीश जी आचार्य परम्परा के अनुसार अयोध्या मठ को सँभालेंगे।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या मठ रसिकोपासना के तत्सुखी शाखा का प्रवर्तक पीठ है जिसका विस्तारक विश्वप्रसिद्ध आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला अयोध्या में है। देश में समस्तप्राय इस परम्परा के मठ और उपासक हैं जो चिरान्द और अयोध्या को अपना मूल मानते हैं। आज आयोजित समारोह क्षेत्र के लोगों के लिये विशेष उत्सुकता का प्रसंग है क्योंकि इस आयोजन में अनेक विभूतियों का आगमन हो रहा है। जगद्गुरु विद्याभास्कर स्वामी जी , महान्त राजारामशरण जी , महान्त जनमेजय शरणजी , महान्त राजकुमारदासजी , चिरान्द विकास परिषद के संरक्षक महान्त श्रीकृष्णगिरि जी नागा बाबा , महान्त करुणानिधान शरण , महान्त दिनेशदास जी , महान्त अञ्जनीकुमारशरण महान्त जनकदुलारीशरण आदि अनेक ऐसे नाम हैं जिनकी उपसथिति आयोजन की भव्यता का संकेत हैं।