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अयोध्या मसले पर मध्यस्थता फेल, अब 6 अगस्त से रोजाना सुनावाई

नयी दिल्ली : अयोध्या में रामजन्म भूमि विवाद को मध्यस्तता के माध्यम से सुलझाने का सुप्रीम कोर्ट का प्रयास आज विफल हो गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता समिति ने 1 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी फाइनल रिपोर्ट समर्पित कर दी थी। लिफाफे में बंद रिपोर्ट अब सामने आ गयी है। समिति के सदस्यों के अनुसार वे इस विवाद का हल निकालने में सक्षम नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ ने मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट पर विचार किया।

इस मुद्दे पर 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मध्यस्थता की सभी कोशिशें विफल हो गई हैं। अयोध्या मामले पर अब खुली अदालत में सुनवाई होगी। ज्ञात हो कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 30 अगस्त्, 2010 के आदेश के विरोध में दायर सभी याचिकाओं पर प्रतिदिन सुनवाई होगी। कोर्ट के जानकारों के अनुसार सप्ताह में तीन दिन इस मामले पर बहस हो सकती है। इस प्रकार लगभग चार माह में इस मुद्दे पर फैसला आ सकता है। अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की रिट याचिका का विरोध किया है। लेकिन, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सुनवाई शुरू होने के बाद सब कुछ तय हो जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने 8 मार्च 2019 को इस मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने की अंतिम प्रयास के तहत अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति को मामले का सर्वमान्य समाधान निकालने की जिम्मेदारी दी गयी थी। मध्यस्थता समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू भी शामिल थे। मध्यस्थता समिति के सदस्यों ने संबंधित पक्षों से बंद कमरे में बातचीत की थी।