आस्ट्रेलियाई रिसर्च ने खोली ड्रैगन की पोल, गलवान में मरे थे 38 चीनी सैनिक
देश/विदेश डेस्क : चीन की पहचान छल, कपट और झूठ की खोखली बुनियाद पर खड़े एक ऐसे राष्ट्र की बन गई है जो विश्वविजेता बनने के लिए अपनी महान सभ्यता वाली विरासत को भी तिलांजली दे चुका है। नया चीन कर्जजाल, धमकी, दूसरे के क्षेत्र में घुसपैठ आदि के लिए बदनामी वाली टेक्निक पर चल पड़ा है। ड्रैगन की इन तिकड़मों की पोल तथ्यों के साथ एक आस्ट्रेलियाई अखबार ने खोली है। इसपर हुए रिसर्च में कहा गया है कि भारत के साथ गलवान की झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे। लेकिन इन मौतों को भी चीन ने अपनी कुटील नीतियों की भेंट चढ़ा दिया।
तथ्यों और तस्वीरों से की गई छेड़छाड़
आस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन ने दावा किया है कि चीन को 2020 में गलवान घाटी संघर्ष में भारी नुकसान हुआ था। लेखक एंथनी क्लान ने अपने खुलासे में कहा कि उस संघर्ष में चीनी सेना के 38 लोग मरे थे लेकिन चीनी सरकार ने कुल 4 बताए। अखबार का दावा है कि चीन दुनिया को मनगढ़ंत कहानी सुना रहा है। सच्चाई को छिपाने के लिए ड्रैगन ने तस्वीरों और तथ्यों से छेड़छाड़ की थी।
चीनी आर्काइव से हासिल रिपोर्ट पर रिसर्च
अखबर ने अपने दावे के पीछे पिछले दो वर्षों के दौरान हुए रिसर्च का हवाला दिया है। इसमें करीब पांच—सात टीमें तथ्यों और चीनी रिपोर्टों की पड़ताल में लगी थीं। चीनी सरकार ने इन स्वतंत्र रिपोर्टों को बाहर नहीं आने दिया था। लेकिन रिसर्च के दौरान चीनी आर्काइव्स में रखे कुछ रिपोर्ट रिसर्च टीम के हाथ लगे। इनकी गहन पड़ताल और अध्ययन के बाद यह नतीजा निकाला गया। शोधकर्ताओं की टीम ने ‘गलवान डिकोडेड’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह दावा किया गया है कि 15-16 जून 2020 की लड़ाई के शुरुआती दौर में तेजी से बहने वाली गलवान नदी में शून्य तापमान में कई चीनी सैनिक मारे गए थे।
ड्रैगन की ओलंपिक में गलवान वाली तिकड़म
अब चीन बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के दौरान अपनी थ्योरी के भ्रम को दुनिया के सामने रखना चाहता है। उसकी मंशा पूरी दुनिया को झूठे भ्रम में जकड़ने की है। यही कारण है कि उसने ओलंपिक मशाल को ले चलने के लिए की फाबाओ को उतारा है जो उसकी सेना पीएलए का रेजीमेंटल कमांडर है। यह वही फाबाओ है जो जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में बुरी तरह घायल हो गया था।