वफादार कार्यकर्ताओं को JDU देने जा रही इनाम

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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जदयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई। इसके बाद अब बिहार में संयुक्त रूप से एनडीए की सरकार चल रही है। वहीं विधानसभा चुनाव में जदयू की खराब प्रदर्शन देख कर पार्टी के बड़े नेता लागातार इसे फिर से मजबूत करने में जुट गए हैं। इसलिए लिए जदयू के तरफ हर वो तरीका अपनाया जा रहा है जिससे वोट उसके पाले में आए।

राजनीतिक जानकारों की माने तो जदयू के बड़े नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि जदयू अब मुस्लिम, कुशवाहा और सवर्ण समुदाय के वोटरों को मजबूत करेगा। इसी को लेकर उसके द्वारा मुस्लिम समुदाय से आने वाले बसपा के नेता को जदयू में शामिल करवाकर मंत्रीमंडल में जगह दिया गया है। साथ ही निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को शामिल किया गया। साथ ही उपेंद्र कुशवाहा को भी शामिल किया गया।

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जदयू तैयार कर रही प्रदेश कार्यकारिणी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी

वहीं जदयू अब एक नई रणनीति बनाकर उन लोगों को और करीब लाने की कोशिश की जा रही है जो जदयू के हर सुख दुख में उसके साथ रहें और हर समय मदद के लिए तत्पर रहें।जदयू अब अपने वफादार नेतायों का पॉलिटिकल सेटलमेंट करने वाला है। इसके लिए जदयू ने प्रदेश कार्यकारिणी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची तैयार कर रही है।

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस सूची में उनलोगों को तवज्जो दिया गया है जो जदयू के हर एक निर्णय में उसके साथ रहें साथ ही संगठन विस्तार को लेकर हमेशा काम करते रहे। साथ ही जदयू द्वारा उन लोगों को भी बड़ा पद देने की तैयारी चल रही है जो विधानसभा चुनाव के दौरान मजदूरों को जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहे। जदयू में इसको लेकर लगातार मंथना किया जा रहा है। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा अपने अस्तर पर इसकी निगरानी भी कर रहे हैं।

पार्टी के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जदयू आयोग निगम बोर्ड की खाली पड़ी सीटों पर वफादार कार्यकर्ताओं को बैठाने को लेकर मंथाना कर रही हैं। इसको लेकर नीतीश कुमार खुद भी वफादार कार्यकर्ताओं की सूची तैयार कर रहे हैं। साथ ही जमा खां , उपेंद्र कुशवाहा, सुमित सिंह से भी वफादार कार्यकर्ताओं की सूची मांगी गई थी जो उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दी है।

बहरहाल , देखना यह है कि जदयू द्वारा तैयार की जा रही इस सूची में किसका किसका नाम दिया जाता है और इससे क्या कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी भी आती है या फिर इस फैसले से जदयू को आगामी दिनों में अच्छा खासा फायदा मिलता है।

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