अशांत मन करे विनाश, गीता अभ्यास से चहुंमुखी विकास : डीजीपी

0

पटना : बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पटना विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित काशीनाथ स्मृति व्याख्यान माला में आज एक आध्यात्मिक विचारक की भूमिका में दिखे। व्याख्यान का विषय था वर्तमान संदर्भ में गीता की प्रासंगिकता। श्री पांडेय पटना विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के छात्र रहे हैं। गीता को आत्मा का विज्ञान बताते हुए उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ ने मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप का परिचय कराया है। इस ग्रंथ में जो तत्व है उसे अनुभव के आधार पर मनुष्य ग्रहण करता है।

swatva

पटना विवि संस्कृत विभाग में गीता पर व्याख्यानमाला

डीजीपी पांडेय के अनुसार गीता केवल प्रवचन या बौद्धिक विमर्श कर विषय नहीं है। गीता में मनुष्य-मनुष्य के बीच संस्कार के स्तर पर होने वाले अंतर के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। मनुष्य का मन जब बीमार होता है, तभी संसार में अशांति होती है। उपदेश के अनुसार यदि मानव गीता का अभ्यास करने लगे तो उसके मन का रोग दूर हो जाएगा। इसके साथ ही वह जागृत मनुष्य शांति, सहअस्तित्व व भाइचारे की स्थापना में सहायक बन जाता है।

उन्होंने कहा कि गीता मनुष्य को उसके मूल स्वरूप से परिचित कराती है। मानव योनि सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस योनि में आत्म के साथ मन को नियंत्रित करने के लिए बुद्धि भी क्रियाशील रहती है। गुरू, शास्त्र, समाज के नियम-परंपरा के कारण मनुष्य अपने मन के अनैतिक कार्य को करने से बचता है। प्रख्यात चिकित्सक डा. आरएन सिंह इस व्यवख्यान माला के मुख्य अतिथि थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here