‘संस्था के रूप में CAG देश के खातों का हिसाब-किताब के साथ-साथ बल्कि वैल्यू एडिशन भी करता है’
दिल्ली : पहले ऑडिट दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब देश में ऑडिट को एक आशंका, एक भय के साथ देखा जाता था। ‘CAG बनाम सरकार’, ये हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। और कभी-कभी तो ये भी हो जाता था कि बाबू लोग ऐसे हैं, ऐसा ही देते हैं। बाबुओं को लगता था CAG वाले ऐसे ही हैं कि हर चीज में उनको नुक्स ही नजर आता है। हरेक की अपनी-अपनी बात थी। लेकिन, आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज ऑडिट को वैल्यू एडिशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
एक संस्था के रूप में CAG, न केवल देश के खातों का हिसाब-किताब चेक करता है, बल्कि प्रोडक्टिविटी (productivity) में, एफिशिएंसी (efficiency) में ‘वैल्यू एडिशन’ भी करता है। इसीलिए, ऑडिट डे और इससे जुड़े कार्यक्रम, इस अवसर पर हमारे चिंतन-मंथन हमारे इम्प्रूवमेंट (improvement) और improvisation का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि शुचिता और पारदर्शिता हमारे व्यक्तिगत जीवन में हों या सरकार में, ये हमारे लिए सबसे बड़े morale booster होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पहले देश के बैंकिंग सेक्टर में ट्रांसपेरेंसी (transparency) की कमी के चलते तरह-तरह की प्रैक्टिसेज (practices) चलती थीं। परिणाम ये हुआ कि बैंको के NPAs बढ़ते गए। NPAs को कार्पेट के नीचे कवर करने का जो कार्य पहले के समय किया गया, वो शायद मुझसे ज्यादा आप लोग जानते हैं। लेकिन हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच, जो भी स्थिति थी, देश के सामने खुल करके रख दी। हम समस्याओं को पहचानेंगे तभी तो समाधान तलाश कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें जो पुरानी सोच है, ‘सरकार सर्वम्, सरकार जानम, सरकार ग्रहणम’ इस पुरानी सोच को हमने बदलने का तय कर लिया है। और उसका परिणाम, सरकार का दखल भी कम हो रहा है, और आपका काम भी आसान हो रहा है। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ Contactless customs, automatic renewals, faceless assessments, service delivery के लिए online applications, इन सारे reforms ने सरकार के गैर-जरूरी दखल को खत्म किया है।
सिस्टम में जब ये ट्रांसपरेंसी आती है तो नतीजे भी हमें साफ-साफ दिखाई देने लगते हैं। आज भारत पूरी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप (ईको सिस्टम) eco-system बन चुका है। आज 50 से ज्यादा हमारे भारतीय यूनिकॉर्न खड़े हो चुके हैं। हमारे IITs आज चौथे सबसे बड़े यूनिकॉर्न प्रोड्यूसर बनकर उभरे हैं। ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ के इस अभियान में आप सभी को, देश की हर संस्था को सहभागी बनना है, ओनरशिप (Ownership) लेनी है, Co-traveler के रूप में चलना ही चलना है। हमारी हर संवैधानिक संस्था के लिए ये अमृतकाल का एक संकल्प, 2047 में जब हिंदुस्तान शताब्दी मनाएगा, तब देश को बहुत ऊंचाई पर ले जाने की ताकत के रूप में काम आएगा।
दशकों तक हमारे देश में CAG की पहचान, सरकारी फाइलों और बहीखातों के बीच माथापच्ची करने वाली संस्था के तौर पर रही है। CAG से जुड़े लोगों की यही इमेज बन गई थी। और इसका ज़िक्र मैंने 2019 में भी जब आपके बीच में आया था, मैंने उल्लेख किया था। मुझे खुशी है कि आप तेजी के साथ परिवर्तन ला रहे हैं, प्रक्रियाओं को आधुनिक बना रहे हैं। आज आप advanced analytics tools इस्तेमाल कर रहे हैं, Geo-spatial data और satellite imagery का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये इनोवेशन हमारे संसाधनों में भी होना चाहिए, और हमारी कार्यशैली में भी होना चाहिए।
कोरोना के मुश्किल समय में भी CAG ने कितनी तन्मयता के साथ काम किया, इसकी जानकारी मुझे मिलती रही है और अभी कुछ बातें मुर्मू जी से भी सुनने को मिलीं। दुनिया के दूसरे बड़े देशों से होती हुई कोरोना की लहर हमारे यहाँ पहुंची थी, इतनी बड़ी आबादी की चुनौती हमारे सामने थी, सीमित संसाधनों का दबाव हमारे हेल्थ वर्कर्स पर था, लेकिन देश ने इलाज से लेकर बचाव तक हर फ्रंट पर युद्ध स्तर पर काम किया। बड़े-बड़े देशों के पास अगर व्यापक संसाधन थे, तो हमारे पास अतुलनीय सामाजिक शक्ति थी।
पीएम ने कहा कि मुझे बताया गया है कि CAG ने भी अपने दायित्वों से आगे बढ़कर, आम जनता को वैक्सीनेशन में भी मदद की। इसी स्पिरिट के साथ देश की हर संस्था, हर देशवासी अपने कर्तव्य के पालन में जुटा हुआ था। हमने ये नहीं देखा कि हमारा काम क्या है, हमने ये देखा कि हम क्या कर सकते हैं! इसीलिए, सदी की ये सबसे बड़ी महामारी जितनी चुनौतीपूर्ण थी, उतनी ही इसके खिलाफ देश की लड़ाई भी असाधारण रही है।
समाज में इन फैसलों का असर इतना व्यापक होता है कि उन्हें हम तभी समझ पाते हैं जब इस दिशा में focused studies की जाएँ! CAG को भी देश के इन प्रयासों का, इन परिणामों का आकलन करना चाहिए। ये लेखा-जोखा देश के सामूहिक प्रयासों का प्रकटीकरण होगा, देश के सामर्थ्य और उसके आत्मविश्वास का एक जीता-जागता document होगा। साथ ही, इससे आने वाली सरकारों के लिए कामकाज के और बेहतर तरीके तलाशने में भी ये आपके दस्तावेज काम आएंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि देश के लिए आपका योगदान अनवरत जारी रहेगा, देश के विकास को नई गति देता रहेगा।