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अरुण जेटली का दिल्ली एम्स में निधन

देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। इस प्रकार चार दशक से लंबी राजनीतिक सफर का अंत हो गया। भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार रहे जेटली को विगत 9 अगस्त को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार को 12:07 बजे उन्होंने 67 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली।

उनके निधन की खबर पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अरुण जेटली बहुत बड़े कद के नेता थे। प्रधानमंत्री ने जेटली को अपना सबसे करीबी मित्र बताते हुए कहा कि उनके जैसे कद का व्यक्तित्व विरले मिलते हैं।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो पाएगी। वे पार्टी, सरकार के साथ—साथ पूरे देश के लिए एसेट थे। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पार्टी ने एक समर्पित कार्यकर्ता खो दिया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि भारतीय राजनीति ने जेटली के निधन से एक अनमोल हीरा खो दिया। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जेटली की सरलता व कौशल की बराबरी करना किसी के वश की बात नहीं। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जेटली के निधन से भाजपा ने एक मेंटर व एक कुशल योजनाकार खो दिया। यह भी संयोग की बात है कि अंतिम ब्लॉग उन्होंने अनुच्छेद 370 पर लिखा था।

अधिवक्ता महाराज किशन जेटली व रत्नप्रभा जेटली के घर 28 दिसंबर 1952 को जन्मे अरुण जेटली ने दिल्ली के संत जेवियर स्कूल से पास करने के बाद श्रीराम कॉलेज आॅफ कॉमर्स से 1973 में बीकॉम की डिग्री ली और 1977 में दिल्ली विवि से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

दिल्ली विवि में अपनी पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता के रूप में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश लेने वाले जेटली ने वकालत के साथ—साथ राजनीति में भी संतुलन स्थापित किया था। दिल्ली में भाजपा को मजबूत करने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। अटल सरकार में उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया था। धीरे—धीरे जेटली भाजपा के लिए इतने महत्वपूर्ण हो गए थे कि भाजपा की कोई भी महत्वपूर्ण बैठक जेटली के बिना पूरी नहीं हो पाती थी। मोदी सरकार में वे वित्त व रक्षा मंत्रालय का भार संभालने के साथ भाजपा के प्लानर भी थे। कोई भी चुनाव उनकी प्लानिंग के बिना भाजपा नहीं लड़ती थी।

भाजपा के लिए जेटली कितने महत्वपूर्ण थे, इस बात अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद जब जेटली ने मोदी सरकार में कोई भी मंत्रीपद लेने से इनकार कर दिया, तो उनको मनाने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके घर गए थे। लेकिन, जेटली ने अपने गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें अभी इलाज कराना है, इसलिए उनका सरकार में शामिल होना उचित नहीं होगा।