फेडरेशन ऑफ़ बैंक ऑफ़ इंडिया अधिकारी संघ द्वारा वार्षिक अधिवेशन का आयोजन पटना के रविंद्र भवन में शनिवार को हुआ। संघ के महासचिव सुनील कुमार ने बताया कि सरकार अपने फायदे के लिए ऋणियों के नाम उजागर नहीं कर रही है, जिसके चलते बैंकों की गाढ़ी रकम एनपीए के रूप में फंसी हुई है। सरकार के इसी रवैये के चलते बैंकों के कर्मचारियों की हालत मजदूरों से भी खराब हो गयी है। सुनील कुमार बिहार में इस संघ के 40वीं सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
राष्ट्रीय बैंकों का विलय चिंता का विषय
सुनील कुमार ने सरकार के द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों के विलय पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पर, सरकार बैंको का विलय कर बैंकिंग व्यवस्था को कमजोर बना रही है, जिसके चलते देश की आर्थिक स्थिति आने वाले दिनों में बहुत बिगड़ सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम कर उसे पूरी तरह निजी हाथों में छोड़ देना चाहती है। इससे बैंकों के कर्मचारियों के वेतन पर भी असर पर रहा है।
विमुद्रीकरण के चलते हालत हुई खराब
सुनील कुमार ने बताया कि विमुद्रीकरण राष्ट्र के लिए बहुत बढ़िया साबित तो नहीं हुई पर कर्मचारियों की हालत बहुत खराब हो गयी थी। विमुद्रीकरण के बाद यहाँ की बैंकिंग व्यवस्था और कर्मचारियों का कार्य दुसरे देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है।
2019-20 के लिए पदाधिकारियों का चुनाव
चुनाव अधिकारी राजीव कुमार की देख रेख में 2019-20 के लिए संघ के पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें अध्यक्ष ठाकुर अरुण कुमार सिन्हा, महासचिव सुनील कुमार और कोषाध्यक्ष के पद के लिए विष्णु कुमार सिन्हा को चुना गया।
इस मौके पर मंजूषा मुकुंद,डॉ अचुदानन्द,संतोष कुमार श्रीवास्तव और प्रशांत मिश्रा के साथ अन्य लोग उपस्थित थे।
(सुचित कुमार)