अंतर्राष्ट्रीय त्योहार है होली, पर मनाने के ढंग हैं अलग-अलग
विश्वनाथ सिंह ‘अधिवक्ता’
यह सर्वविदित है कि होली एक ऐसा त्योहार है जिसे खुशियों का महासागर भी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा। उसमें इसका फलक अंतर्राष्ट्रीय है। लेकिन, यह सच है कि विदेशों में हर देश में इसके नाम अलग-अलग हैं। मनाने के ढंग भी अलग-अलग हैं। परंतु, हर्ष और उल्लास लगभग एक समान है। होली के पावन अवसर पर विभिन्न देशों में मनाई जाने वाली होली की के बारे में आइए जानते हैं।
श्रीलंका – भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका में होली मनाने का तौर-तरीका लगभग अपने ही देश जैसा है। श्रीलंका में वहां के निवासी रात्रि को होलिका दहन करते हैं। फिर उसके दूसरे दिन रंग-गुलाल हर्षाेल्लास के साथ खेलते हैं। एक दूसरे से गले मिलते हैं। घर-घर जाकर होली गायन करते है। ढोल झाल सहित अन्य वाद्य यंत्रों का प्रयोग करते हैं। सुस्वादिष्ट भोजन बनवाकर खाते-खिलाते हैं। वहां के लोग इस त्यौहार के दिन राष्ट्रीय अवकाश भी मनाते है।
बर्मा – यह भी भारत का पड़ोसी देश है। यहां होली को ‘तेच्या’ कहा जाता है जिसे लगातार चार दिनों तक मनाया जाता है। इन चार दिनों में बच्चे-जवान सभी राह चलते लोगों पर पिचकारियों से रंग फेंकते है। सामने आने वाले हर लोग रंगों से रंग जाते हैं। इस पर्व के मौके पर एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है।
इटली – यहां होली का प्रतिरूप त्योहार ‘बेलियाकोनोन्स’ के नाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर छोटे-बड़े सभी एक दूसरे पर सुगंधित जल छिड़कते है और उन्हें साफ-सुथरे घास के बने आभूषण भेंट करते हैं। इटली में होली बड़ी शालीनता के साथ मनाई जाती है। अन्न की देवी ‘पलोर’ को खुश करने वास्ते तथा खेती की उन्नति के लिए शाम को बिल्कुल भारत की तरह यहाँ के लोग लकड़ियां इकट्ठा कर जलाते हैं। फिर अग्नि के आस-पास नाचते-कूदते हैं। इटली में इस अवसर पर आतिशबाजी करने की भी प्रथा प्रचलित है।
रूस – यहां प्रतिवर्ष 21 मार्च को बेहद उत्साह के साथ ‘हास्य-पर्व’ मनाया जाता है। इस दिन रूस में महामुर्ख सम्मेलन उसी प्रकार मनाया जाता है जिस प्रकार भारत में मनाया जाता है। वहां के देशवासी हास्य-पर्व पर सुस्वादिष्ट संतुलित आहार ग्रहण करते और अपने प्रियजनों को करवाते हैं।
फ्रांस – यहां के लोग होली के पावन अवसर पर काफी खुशी मनाते हैं। रंग-अबीर के साथ एक दूसरे से मिलते हैं। हुड़दंग मचाते हैं। 13 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाये जाने वाला इस त्योहार को फ्रांस में ‘मूर्खों का त्योहार’ कहा जाता है। वहां होली के हुड़दंग से बचने की कोशिश करने वालों का मुंह सभी हुड़दंगी मिलकर काला कर देते हैं और उसके शरीर को विचित्र बनाने की नियत से सर पर नकली सींग लगाकर उसे भैंस की आकृति बना डालते हैं। इसके बाद उसे बाजारों में घुमाया जाता है। इससे एक दिन पूर्व घास-फूस की बनी मूर्तियों को सारे शहर में घुमाया जाता है फिर शाम को सार्वजनिक रूप से जला दिया जाता है।
चेकोस्लोवाकिया – यहां के लोग होली को ‘बेलियाकोनोन्से’ के नाम से मनाते है। इस दिन लोग भारत की तरह एक दूसरे पर रंग डालते है और गुलाल मलते हैं। इस अवसर नाच-गाना भी होता है।
चीन – यहां का लोकप्रिय पर्व ‘चूपेजे’ है जो होली की तरह मनाया जाता है। इस पर्व पर चीन के लोग रंगों से खेलते हैं और भरपुर खुशियां मनाते हैं। यहां यह पर्व बसंत के बाद मनाया जाता है जो एक पखवारे तक चलता है।
साइबेरिया – यहां होली का पूर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। देशवासी घास-फूस और फूल तथा जलाने की लकड़ी घर-घर से संग्रह करते हैं। फिर पुरुष तथा महिलाएं मिलकर होली जलाते हैं।
हंगरी – इस देश का ‘उस्टर’ त्योहार भारत के होली पर्व की तरह मनाया जाता है। इस दिन लड़के-लड़कियां आपस में एक दूसरे पर रंग छिड़कते हैं। नाच-गान करते हैं और मिठाई बांटकर एक दूसरे को खिलाते-खाते हुए खुशियां मनाते हैं।
अफ्रीका – भारतीय होली से मिलता-जुलता यहाँ ‘औमेना वैका’ नाम का त्योहार मार्च-अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है। यहां पर ‘वौंगा’ नामक एक अत्याचारी राजा का पुतला दहन किया जाता है। इस संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि ‘वौंगा’ नामक एक अत्याचारी राजा को प्रजा ने जलाकर मार डाला था। तब से प्रतिवर्ष उसी ढंग से ‘वौंगा’ पुतला जलाकर यह महत्वपूर्ण त्यौहार मनाया जाता है। इस अवसर पर खुशियां मनाई जाती है तथा एक दूसरे पर रंग भी डालते हैं।
अमेरिका – यहां का प्रसिद्ध त्योहार है ‘होबो’। इस दिन यहां का फूहड़पन देखने लायक होता है। होबो बने लोगों की एकसभा होती है। उस सभा में जाने के लिए जो पोशाक पहनी जाती है वह विचित्र होता है। किसी की पतलून की एफ टांग गायब होती है तो किसी ने शर्ट को बटन वाला भाग पीठ की ओर कर पहना होता है। किसी के एक पैर में जूता होता है तो दूसरे पैर में चप्पला चेहरे पर ऐसा मेकअप किया जाता है कि खुद ‘होबो’ के घर वाले भी नहीं पहचान पाते हैं। इस सभा में जो सर्वाधिक बेहूदगी करता है, उसकी प्रशंसा की जाती है। इसी को अन्य होबोओ द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। अमेरिका में 31 अक्टूबर को ‘हेलाइन’ नाम से रंगों का त्योहार भी पूरे उत्साह, उल्लास और उमंग से मनाया जाता है।
यूनान – यहां ‘मैपोल’ नाम से एक त्योहार मनाया जाता है। इस अवसर पर एक खंभा गाड़ा जाता है। उसके आस-पास ढेरों लकड़ियां एकर रात्रि में आग लग दी जाती है। इस दिन लोग अपने देवता ‘डोयनोसिय’ की पूजा कर जमकर शराब पीते हैं।
बेलिजयम – यहां मूर्ख दिवस पर लोग अपने पुराने जूते जलाते हैं। हंसी मजाक करते हैं। नाचते है गाते हैं। जो लोग इस उत्सव में भाग नहीं लेते, उनका चेहरा काले रंग में रंगकर उसे गधे की पीठ पर बैठाकर जुलूस निकालते हैं।
जर्मनी – इस देश में ईस्टर के दिन बच्चे संगठित होकर लकड़िय एकत्र करते हैं। फिर उसमें आग लगाते हैं। इस मौके पर बच्चे तथा युवक आपस में रंग भी खेलते है और नाच-गान भी करते हैं।
जापान – यहां यह त्योहार वसंत के आगमन तथा नई फसल की खुशी में मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह मार्च माह में आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर उत्साह पूर्वक जापानियों द्वारा नाच-गाने सहित विविध प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जाती है। हर कोई एक दूसरे से गले मिलकर अपनी पूर्व की कटुता को भूल जाते हैं।
हालैंड – यहाँ के लोग होली का त्योहार रंगीन पर्व के रूप में मनाते हैं। सभी लोग मद्य (शराब) सेवन करते हैं। फिर खुशी में झूमते-गाते हैं। एक-दूसरे को यहां बेवकूफ बनाने की भी परम्परा है। कहा जाता है कि हालैंड में रंगीन पर्व पर प्रिंस कार्नीवाल अपने मंत्रिमण्डल तथा अन्य राज्य सेवकों के साथ जनता को भोज देता था।
थाईलैंड – इस देश में इसे ‘सांग क्रान’ कहा जाता है। देशवासी एक दूसरे पर सुगंधित जल डालते हैं। यहां इस त्योहार में बौद्ध भिक्षुओं को भिक्षा देने की पम्परा है। यह त्योहार थाइलैंड में अप्रैल माह में मनाया जाता है।
पोलैंड – यहां के लोग होली की भांति ‘आरशिना’ नामक त्योहार धुमधाम से मनाते हैं। एक दूसरे पर फूलों से निर्मित रंग डालते हैं तथा एक दूसरे से गले मिलते हैं।
मिस्र – यहां ‘फलिका’ नामक त्योहार होली की भांति मार्च माह में मनाया जाता है। इसमें रंगों का भरपूर उपयोग किया जाता है। लोग नाच-गान भी करते हैं।
अब यहां यह स्पष्ट हो जाता है कि रंगों का रंगीला पर्व होली केवल हमारे भारत में ही नहीं अपितु विश्व के विभिन्न देशों में भी हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। यह यज्ञीय पर्व है। राष्ट्रीय चेतना के जागरण का पर्व है। समता का पर्व है। इस अवसर पर छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, ऊँच-नीच, गरीब धनवान का भेद भुलाकर सबसे अपने अपराधों की दुष्कर्मों की क्षमा मांगना, भविष्य में ऐसा न करने का व्रत लेना तथा अपनी भूलों पर पश्चाताप करना समता के भावों को बलवान और जागरूक बनाने के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।