पटना : बिहार के शिक्षामंत्री के बाद अब नीतीश कैबिनेट के एक और मंत्री ने कड़क आइएएस अफसर केके पाठक के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। शिक्षामंत्री चंद्रशेखर द्वारा अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पीत पत्र जारी करने के बाद इसी मामले को लेकर नीतीश सरकार में कल्याण मंत्री रत्नेश सदा ने केके पाठक को सामंती और मनुवादी करार दिया।
केके पाठक पर भड़के कल्याण मंत्री रत्नेश सदा
कल्याण मंत्री रत्नेश सदा भी विरिष्ठ आईएएस केके पाठक के कड़क ऐक्शन से नाराज हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री पाठक ने राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की गैरहाजिरी को लेकर चेकिंग शुरू की है। इसके साथ ही उन्होंने स्कूलों में छात्रों के अटेंडेंस दुरुस्त करने का अभियान भी शुरू किया है और इसकी जिम्मेदारी टोला सेवकों को दी गई है। 90 प्रतिशत तक हाजिरी नहीं पहुंचाने वाले टोला सेवकों की सैलरी 25 फीसदी काटे जाने की बात कही गई है। इसी बात को लेकर मंत्री रत्नेश सदा भड़क उठे हैं।
अफसर को सामंती और मनुवादी करार दिया
पटना में बुधवार को मीडिया से बात करते हुए मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि—’ये केके पाठक जो है न…सामंती और मनुवादी व्यवस्था वाला है। ये मनमौजी अफसर हैं जो न मंत्री से परामर्श करते हैं, ना अपने दूसरे पदाधिकारी से। मन में जो आता है सो करते हैं। ये सामंती विचारधारा वाले अफसर हैं। जिन टोला सेवकों का वेतन 9-10 हजार रुपए है उसमें से 25 फीसदी काट लेना सही नहीं। दूसरी तरफ वे हैं जिनकी सैलरी एक लाख-डेढ़ लाख और 40-50 हजार है। ऐसे में सभी पर दायित्व देना चाहिए। लेकिन श्री पाठक मात्र टोला सेवकों के पीछे पड़े हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश से करेंगे शिकायत
इसके बाद मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से आईएएस केके पाठक की शिकायत करेंगे। केके पाठक दलित विरोधी हैं। उनको सोचना चाहिए, जो शिक्षक 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक वेतन लेते हैं, उस पर कोई दायित्व नहीं? जिसको 9-10 हजार रुपए मिलता है, उस पर सारा दायित्व? यह सामंतवादी और मनुवादी सोच नहीं तो और क्या है?