पटना : राजधानी के एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट में शिक्षा और गांधी के विचारों पर एक कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा जगत की मशहूर हस्तियां भी उपस्थित रहीं। जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा, वाईस चांसलर डॉ हरिकेश सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी को गांधी बननेवाला बिहार है। भले ही लोग इसका श्रेय दूसरे को दे देते हो लेकिन महात्मा गांधी के जीवन मे मोतिहारी और पंडित राजकुमार शुक्ल के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। 1916 में लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा था और राजकुमार शुक्ल बीच मे खड़ा होकर गांधी जी को कहा था कि गरीबी देखनी है तो मोतिहारी आओ। उन्होंने एक गरीब महिला की चर्चा की थी। जब गांधी जी मोतिहारी आए तो उन्होंने उस गरीब महिला को बुलाने को कहा। पंडित राजकुमार शुक्ल तीन घंटे बाद उस महिला को लेकर आये। इतनी देर का कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि इस महिला के पास मात्र एक साड़ी है। इसकी बेटी उसे पहनकर बाहर गई हुई थी। जब वो लौटकर आई तब वही साड़ी पहनकर महिला उनसे मिलने आई। यह सुनने के बाद गांधी जी ने अपने सारे वस्त्र उतार दिए और उसी दिन से धोती पहननी शुरू कर दिया। राजकुमार शुक्ल ने उन्हें महात्मा कहकर पुकारा और उस दिन से उनके नाम के आगे महात्मा लग गया। उन्होंने कहा कि दूसरे के श्रम पर आप सफलता नहीं प्राप्त कर सकते हैं। जीवन के जो मौलिक तत्व हैं वही बेसिक एजुकेशन है। आदमी को आदमी समझना, आदमी की कद्र करना, मनुष्य की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। डॉ हरिकेश सिंह ने कहा कि एक होता है वर्ल्ड ऑफ वर्ड जिससे सिर्फ अक्षरों का ज्ञान होता है। और एक होता है वर्ल्ड ऑफ वर्क जो अपने श्रम पर हमें जीना सिखाता है। डॉ राजेन्द्र प्रसाद की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही लोग विश्वास न करे लेकिन भारतीय संविधान का जो उदेशिका लिखा वो डॉ राजेन्द्र प्रसाद के द्वारा ही लिखा गया है। जो कि अपने आप मे बहुत ही अद्भुत है। उन्होंने कहा कि 1972 के बाद रशिया की भाषा मे बात करना ही विद्वता समझा जाता था और 1990 के बाद अमेरिका की भाषा मे बात करना ही विद्वान माना जाता है। गांधी जी की दो बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पहली ट्रस्टी शिप और दूसरी सहकारिता की। हेड, हार्ट और हैंड का उपयोग करना ही गांधीवाद है।
वहीं बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर ने कहा कि हेल्थ की परिभाषा में डब्लूएचओ ने एक और शब्द जोड़ दिया है स्प्रिचुअल। यानी हेल्थ का मतलब हो गया ए कंपलीट स्टेट ऑफ फिजिकल, मेन्टल एंड स्प्रिचुअल हेल्थ। मंत्री जी ने कहा कि आज गांधी जी के परिवार का कोई सदस्य ये कहने नहीं आता है कि गांधी जी की प्रतिमा लगाओ या उन्हें फूल माला चढ़ाओ। लोग गाँधी जी को खुद यह सम्मान देते हैं। गांधी को जितना पढ़ेंगे समझेंगे उतना ही बेहतर होगा। 1918 में बिहार के मोतिहारी में उन्होंने एक स्कूल की नींव रखी थी। बिना किसी सहयोग और सरकार के केवल अपनी इच्छाशक्ति के बल पर। राणा रणधीर ने 7 दिन के कोर्स की बच्चों को बधाई दी और कहा कि 7 का संबंध धर्म से भी जुड़ा है। सात फेरे, सात जन्म, सप्त ऋषि। शिक्षा में जब भी वैल्यू की बात करते हैं तो गांधी जी की याद आती है।
वहीं पटना यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर रास बिहारी बोस ने आज की शिक्षा व्यवस्था पर कहा कि ये व्यवस्था सिर्फ क्लर्क पैदा करता है डिग्रीयां देता है। उन्होंने कहा कि गांधी जी अंग्रज़ों और अंग्रेज़ी के खिलाफ नहीं थे लेकिन उसके दुष्परिणाम के खिलाफ थे। अंग्रेज़ी प्रशासन ने ऐसी शिक्षा व्यवस्था दी जो उन्हें ही सहायक सिद्ध हुए। लेकिन हमारी जो परंपरागत व्यवस्था थी उसे चौपट कर दिया। जो हमारे ट्रेडिशनल वर्क किया करते थे उसे तहस नहस कर दिया। गांव में लोहार, बढ़ई हुआ करते थे। गांधी जी की नई तलीम में बेरोजगारी की कोई जगह नही थी। उनकी शिक्षा बेरोजगार पर प्रहार करती थी।
(मानस द्विवेदी)