एंबुलेंस चालक की हठधर्मिता से महिला की जान पर आई

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नवादा : सदर अस्पताल नवादा में एंबुलेंस चालक की हठधर्मिता से एक महिला की जान पर बन आई। अस्पताल में एंबुलेंस रहते मरीज को उपलब्ध नहीं हो सका। वह भी तब जब अस्पताल कर्मियों ने मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराने की दिशा में स्वयं पहल किया। अंतत: मरीज को उनके स्वजन रिक्शा पर लादकर गंतव्य की ओर ले गए।

बताया जाता है कि सोमवार की रात लगभग एक-दो बजे करीब सदर अस्पताल नवादा में महिला वार्ड में एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ी। स्वास्थ्यकर्मियों ने एंबुलेंस के लिए 102 डायल किया तो फोन नहीं लगा।

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इसके बाद वहां कार्यरत एजीएन स्वयं जाकर अस्पताल परिसर में खड़ी तीन एंबुलेंस में उपस्थित कर्मचारियों से उक्त एक्लेम्पसिया से पीड़ित गर्भवती महिला को गया मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए कही। परंतु उनमें से एक भी जान को तैयार नहीं हुआ। अंतत: मरीज को उसके स्वजन ई-रिक्शा से अन्यत्र ले गए। अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि उस वक्त अस्पताल में 8120, 1272 और एक छोटा साइज की एंबुलेंस खड़ी थी।

उच्च अधिकारियों को भेजी गई रिपोर्ट

एंबुलेंस चालकों के रवैए से नाराज अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. विमल प्रसाद सिंह ने रिपोर्ट सिविल सर्जन और जिलाधिकारी को भेज दी। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मियों का रवैया सही नहीं था। मरीज गंभीर स्थिति में था।

थाने तक पहुंचा मामला

मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराए जाने के बावत उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद अस्पताल उपाधीक्षक के साथ मंगलवार की सुबह बदतमीजी की गई। एंबुलेंस के जिला प्रभारी रविभूषण उर्फ बड़न ने अस्पताल उपाधीक्षक को देख लेने की धमकी दी। तब सिविल सर्जन के निर्देश पर उपाधीक्षक डॉ. सिंह ने थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराई है।

उपाधीक्षक ने कहा कि रविभूषण ने पूर्व में एक एंबुलेंस चालक को पीटा था। एंबुलेंस चालकों के ऐसे रवैए से अस्पताल व चिकित्सकों की बदनामी होती है।

मरीजों की जेब टटोल उपलब्ध कराई जाती है एंबुलेंस

जानकार बताते हैं कि सरकार के स्तर से उपलब्ध एंबुलेंस का चालक अपनी मनमौजी चलाता है। मरीजों को सेवा देने के पूर्व उसकी जेब टटोलता है।

जिन मरीज से रुपये मिलने की संभावना नहीं होती है उसे सेवा देना नहीं चाहते हैं। वहीं जिन मरीजों से रुपये मिलने की गारंटी होती है, उस मरीज को ले जाने के लिए चालक आपस में झगड़ा तक कर लेते हैं। दरअसल एंबुलेंस चालक जिस कंपनी से अनुबंधित हैं वह नियमित वेतन का भुगतान नहीं करता है। ऐसे में वे लोग मरीजों को ही नोचने में लगे रहते हैं।

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