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संभावित बाढ़ प्रभावित जिलों में होगी वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था, इन लोगों का रखा जाएगा विशेष ध्यान

पटना : बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग के तरफ से राज्य में संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिलों को चिह्नित करस्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जो प्रति वर्ष बाढ़ की विभीषिका के कारण प्रभावित होते रहते हैं।

इसको लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेंत्रों में इन बातों का ख्याल रखा जाएगा कि जहां गर्भवती माताएं जिनका प्रसव बाढ़ अवधि के दौरान होना संभावित है, नवजात शिशु, जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है, वैसे लोगों की पूर्व से सूची तैयार कर लिया जाए, इसके साथ ही दिव्यांग एवं गंभीर रूप से बीमार ऐसे मरीज, जिन्हें स्वास्थ्य संस्थानों में रेफरल आवश्यकता हो, इसके अलावा ऐसे क्षेत्र, जहां महामारी का संकेत हो, उन जगहों पर आशा कार्यकर्ताओं एवं एएनएम द्वारा विस्तृत सर्वेक्षण कराया जाए।

चलंत चिकित्सा दल एवं स्वास्थ्य शिविर का गठन

उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर आवश्यक औषधियों की समुचित मात्रा में उपलब्धता करायी जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को व्यवस्थित करने के लिए बाढ़ प्रभावित वाले क्षेत्रों की स्थितियों की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार चलंत चिकित्सा दल एवं स्वास्थ्य शिविर का गठन किया जाएगा। इन चिकित्सा दलों में चिकित्सक, नर्स, एएनएम एवं अन्य पारा चिकित्साकर्मी शामिल रहेंगे। चलंत चिकित्सा दल, आपदा प्रबंधन विभाग एवं एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के समन्वय से नावों की सहायता से दूरस्थ क्षेत्रों तक भ्रमण किया जाएगा। बाढ़ में चिकित्सीय कार्य हेतु डेडिकेटेड बोट की व्यवस्था की गयी है।

पांडेय ने कहा कि बाढ़ पूर्व चिह्नित किये गये गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों एवं अशक्त वर्गों का एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के सहयोग से ख्याल रखा जाएगा। इस दौरान सुरक्षित प्रसव हेतु गर्भवती महिलाओं की पूर्व से तैयार सूची के अनुसार प्रसव की संभावित तिथि को संस्थागत प्रसव चिकित्सा दल के पर्यवेक्षण में कराया जाएगा। साथ ही प्रसव की जटिलताओं से बचने हेतु आवश्यक चिकित्सीय सुविधाएं भी उपलब्ध करायी जाएंगी। बाढ़ के दौरान राहत शिविरों में अन्य व्यवस्थाओं के साथ अस्थायी मातृत्व केंद्र हेतु स्थल एवं आवश्यकतानुसार सहायता केंद्र स्थापित हो रहे हैं। बाढ़ का पानी घटने और जलजमाव के पश्चात मलेरिया, डेंगू के अलावे कालाजार आदि की रोकथाम के लिए आवश्यक दवाओं तथा ब्लीचिंग पाउडर व चूना का छिड़काव किया जाएगा।